29 अगस्त 2010
युवा संवाद की स्थानीय इकाई भंग
03 अगस्त 2010
अब कहां है जाति प्रथा?ब
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बच्चों के बीच ज़हर |
30 जुलाई 2010
प्रेमचंद जयंती पर
01 जुलाई 2010
खाप पंचायती मानसिकता के ख़िलाफ़
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आईये साथ चलें |
24 जून 2010
क्या आप हमारे साथ नहीं हैं?
20 जून 2010
जबलपुर में रंग संवाद
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रिपोर्ट |
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हरिभूमि |
22 मार्च 2010
दुनिया को बचाना है तो इसे बदलना ज़रूरी है…
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विचार सत्र में बोलते हुए राज्य संयोजक प्रदीप |
- जिसे आज आमतौर पर भूमण्डलीकरण कहा जाता है वह दरअसल पूंजी का भूमण्डलीकरण है। श्रम आज भी जंज़ीरों में जकड़ा हुआ है। विकास के इस पूरे विमर्श से समानता का तत्व बाहर हो गया है। इसका सही विकल्प केवल बराबरी पर आधारित एक सामाजार्थिक-राजनैतिक व्यवस्था के ज़रिये पाया जा सकता है।
- आज के दौर में ज़रूरी नहीं कि परिवर्तन बीसवीं सदी की ही तरह हिंसात्मक आंदोलनों के ज़रिये हो। बीसवीं सदी का समाजवाद पिछड़ी हुई अर्थव्यवस्थाओं में युद्ध के असाधारण काल में आया था…तो उसका आऊटलुक भी उसी के अनुरूप था। आज उनकी नक़ल नहीं हो सकती।
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जयवीर, मनोज,इमरान,निशांत और अशोक |
- माओवादी दल आज जिन मुद्दों को उठा रहे हैं वे जायज़ हैं लेकिन हिंसा का जो रास्ता वे अपना रहे हैं वह उन्हें आतंकवाद की ओर ले जा रहा है। यह धीरे-धीरे अराजक ख़ून-ख़राबे में बदल रहा है। ऐसी हिंसा, चाहे राज्य की हो या किसी दल की, उसे उचित नहीं ठहराया जा सकता।
- महिला आरक्षण बिल सदियों से उत्पीड़ित इस तबके के उत्थान के लिये आवश्यक सकारात्मक पहल है। इसका समर्थन किया जाना चाहिये। साथ ही दलित, पिछड़े तथा अल्पसंख्यक समुदायों की चिंताओं पर भी गौर किया जाना चाहिये।
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यहां परिचर्चा में भागीदार महेन्द्र,फिरोज़, प्रदीप |
- आज जाति, धर्म और जेन्डर की पुरोगामी सरंचनाओं के ख़िलाफ़ एक सामाजिक-सांस्कृतिक आंदोलन की ज़रूरत है और युवा संवाद इसमें अपनी पुरज़ोर भूमिका निभायेगा।
14 मार्च 2010
युवा संवाद का राज्य सम्मेलन

युवा संवाद का तीसरा राज्य स्तरीय शिविर आगामी २०-२१ मार्च को ग्वालियर में होगा।
राज्य सम्मेलन की कार्यसूची
20/03/2010
पहला सत्र (10 बजे से)
यु्वा संवाद की विभिन्न इकाईयों की रिपोर्ट तथा अब तक के काम की समीक्षा
दूसरा सत्र ( साढ़े 12 बजे से)
भविष्य की योजना और पत्रिका के बारे में
तीसरा सत्र ( साढ़े 3 बजे से)
स्थापना सम्मेलन की तैयारियों पर केन्द्रित
चौथा सत्र ( छह बजे से)
सांस्कृतिक कार्यक्रम
21/03/2010
सुबह छह बजे भगत सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण और जनगीत गायन
पहला सत्र ( 10 बजे से)
समाज के लोकतांत्रिकरण में युवा संवाद की भूमिका ( साथी प्रदीप)
दूसरा सत्र ( शाम चार बजे से)
खुली बहस : भूमन्डलीकरण और भविष्य का स्वप्न ( साथी संजय/अशोक)
रजिस्ट्रेशन शुल्क - 100/- प्रति व्यक्ति प्रतिदिन
05 मार्च 2010
भविष्यफल और वैज्ञानिकता
(युवा दख़ल पत्रिका पिछले दो सालों से ग्वालियर युवा संवाद द्वारा निकाली जा रही है। इस बार इसमें कुल पन्ने हैं १६ और मूल्य ५ रु… कवर पेज़ बनाया भाई रवि कुमार रावतभाटा ने। मंगाने के लिये मुझे मेल करें या फोन... यहाँ इसी अंक से विष्णु नागर जी का एक आलेख)
27 फ़रवरी 2010
आपका घर गच्ची वाला है
पूरे के चावल दे दो
देवास की एक बस्ती में करीब 34 लड़कियां हैं जो नियमित रूप से हमारे पास पढ़ने आती हैं। इन बच्चियों में मूल रूप से मुस्लिम और दलित किषोरियां हैं। उन्हें पता नहीं - कि क्यों पढ़ती हैं, बातचीत में पता चला कि उन्हें पढ़ने और स्कूल जाने के बराबर अवसर नहीं मिले और ना ही कभी वे स्कूल की फेंटेसी को जी पाई हैं। जब मैं रोज़ की तरह सेंटर पहुंचा तो बच्चों का हुजुम हमारे पिछे आ रहा था, करीब दो घंटा पढ़ाई के बाद, बात करते-करते एक बच्ची (मुस्कान 8 वर्ष) ने पूछा कि आप कहां रहते हो ? जवाहर नगर में, मैने कहा। उसने फिर पूछा सर आपका घर गच्ची वाला है ? पहले तो मुझे सवाल समझ नहीं आया कि गच्ची वाला का क्या मतलब है ? तो एक साथी ने बताया कि गच्ची वाला याने छत वाला घर। मैने जब मुस्कान से हां कहा तो उसने कहा - सर आप मुझे एक बार वहां ले चलोगे ? इस सवंाद से मुझे पहली बार एहसास हुआ कि घरों की पक्की दिवारों और छतों के भी अपने मायने होते हैं और वे किसी फेंटेसी से कम नहीं होते। इससे पहले शायद ही मैने कभी अपने घर की छत को देखा हो ?
ऐसे ही मैं एक बार बस्ती में किराने की दुकान पर खड़ा था, तभी एक आवाज़ आई, वह आवाज़ नर्गिस की थी। भैया पूरे के चावल दे दो। दुकानदार व्यस्त था शायद वह सुन नहीं पाया। नर्गिस फिर अपार ख़ुशी और आत्मविश्वास से तेज आवाज़ में पैसे रखकर बोली- भैया पूरे के चावल दे दो। यह संवाद मेरे आपे से बाहर का था, मैं पूरी तरह सिहर गया था क्योंकि नर्गीस के पूरे पैसे से मतलब 5 रूपये से था। एक बच्ची सिम्मो मेरे लिये आरिगेमी से कुत्ता बनाकर लाई और उसने अपने हाथ से उस पर मेरा नाम लिखा था। मैं नहीं समझ पा रहा था कि मेरे साथ यह क्या हो रहा है। एक तरफ तो मुस्कान ने गच्ची वाला छत नहीं देखी, नर्गिस को 5 रूपये पूरे लगते हैं और यही बच्चे हमारे लिये तोहफे लायें हैं। यह सबकुछ मेरे लिये अनुपम, अद्भूत और ना जाने क्या क्या था। यह सब मेरे लिये इसलिये भी शायद अजीब और नया था क्योंकि मैं एक साफ्टवेअर इंजिनियर के रूप में एक मल्टीनेषनल कंपनी में काम किया करता था जहां मैं साल भर के 5 लाख रूपये कमाता था और मुझे तो वह भी कम लगते हैं। सौरभ वर्मा
27 दिसंबर 2009
साहित्यकार की जगह सडक नहीं होती




सभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने मंहगाई को राष्ट्रीय आपदा घोषित किये जाने, शिक्षा, रोटी और रोज़गार को मौलिक अधिकार बनाये जाने तथा नयी आर्थिक नीति वापस लेने की मांग की। एटक के राजेश शर्मा, कैलाश कोटिया, युवा संवाद के अजय गुलाटी, स्त्री अधिकार संगठन कि किरण, सीटू के श्याम कुशवाह, इण्डियन लायर्स एसोशियेशन के गुरुदत्त शर्मा तथा यतींद्र पाण्डेय, ग्वालियर यूनाईटेड काउंसिल आफ़ ट्रेड यूनियन्स के एम के जायसवाल, एम पी मेडिकल रिप्रेज़ेन्टेटिव यूनियन के राजीव श्रीवास्तव, आयुष मेडिकल एसोसियेशन के डा अशोक शर्मा, डा एम पी राजपूत, जन संघर्ष मोर्चे के अभयराज सिंह भदोरिया, नगर निगम कर्मचारी यूनियन के अशोक ख़ान, प्रलेसं के भगवान सिंह निरंजन सहित तमाम वक्ताओं ने इस संयुक्त मोर्चे को वक़्त की ज़रूरत बताते हुए संघर्ष की लौं तेज़ करने का संकल्प किया। संचालन युवा कवि अशोक कुमार पाण्डेय ने किया।
लेकिन जहां एक तरफ इन तबकों ने अपनी व्यापक एकता का परिचय दिया, शहर के मूर्धन्य काग़ज़ी शेर उर्फ़ साहित्यकार इससे दूर ही रहे। एक साहब को जब हमने फोन लगाया तो उत्तर मिला-- ''अरे भाई यह हमारा काम नहीं है। साहित्यकार की जगह सडक नहीं होती।'' आप को क्या लगता है?
25 दिसंबर 2009
मंहगाई हमारा भी मुद्दा है!

मंहगाई के खिलाफ साझा अभियान
मंहगाई के खिलाफ रैली और धरना आज
मोर्चे के गुरुदत्त शर्मा तथा अभय राज सिंह भदोरिया ने इस अवसर पर शहर के तमाम बुद्धिजीवियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, ट्रेडयूनियन कर्मियों तथा आमजनों से व्यापक भागीदारी की अपील की है।
भवदीय
(अशोक कुमार पाण्डेय)
संयोजक, संयुक्त मोर्चा
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निवेदक
युवा संवाद, जलेस, प्रलेस, इप्टा, संवाद, गुक्टु, एटक, सीटू, स्त्री अधिकार संगठन, नगर निगम यूनियन, बीमा कर्मचारी यूनियन, इण्डियन लायर्स एसोसियेशन, आल इण्डिया बैंक इंप्लाईज एसोसियेशन, नागरिक मोर्चा, जूटा, एम पी एम आर यू, बीएसएनएल यूनियन, आई डी ए
05 दिसंबर 2009
धार्मिक कट्टरपंथ तथा आतंकवाद

27 नवंबर 2009
कितना बर्दाश्त करेगा दलित?


02 नवंबर 2009
इरोम शर्मिला के समर्थन में -- एक रिपोर्ट

31 अक्टूबर 2009
इरोम शर्मीला के समर्थन में


साथी,
इरोम शर्मिला एक युवा महिला हैं जो पिछले 10 वर्षों से आमरण अनशन पर हैं। उन्हें सरकार ने घर पर ही नजरबंद कर रखा है और जबरन नाक के रास्ते खाना खिलाया जा रहा है। वह सैन्य बल (विशेष अधिकार) अधिनियम 1958 की वापसी की मांग कर रही हैं। गौरतलब है कि 2 नवम्बर को मणिपुर में सैन्यबल ( विशेष अधिकार) अधिनियम 1958 के विरू़द्ध इरोम शर्मिला अपने आमरण अनशन के दस वर्ष पूरे कर लेंगी। इसमें संदेह नहीं ये वर्ष भारतीय लोकतन्त्र के लिए शर्म में डूबे हुए वर्ष हैं। अब भी भारतीय प्रजातन्त्र के अनुसार सम्मानजनक जीवन की मांग करना आत्महत्या है (भारतीय सरकार का उनके अनशन के प्रति यही रूख़ रहा है) और सैन्यबल विशेषाधिकार सुरक्षा के लिए आवश्यक हक....वो हक जो पूर्वोत्तर के राज्यों में एन्काउण्टर, बलात्कार और हत्याओं को जायज ठहराता है। क्या मणिपुर में महिलाओं द्वारा सशस्त्र राज्य की ताकत के खिलाफ सैन्य मुख्यालय के समक्ष निःवस्त्र प्रदर्शन लोकतान्त्रिक राज्य के प्रचारित गौरव को शर्मसार नहीं करता ? शायद नहीं! क्योंकि दूसरे राज्यों में भी ऐसे दमनकारी कानून बनाए जाने की कोशिशें जारी हैं। हम सरकार की दमनकारी नीतियों के खि़लाफ इरोम शर्मिला व उनके साथियों के संघर्ष का समर्थन करते हैं। हम लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों का दमन करने वाले सैन्यबल ( विशेष अधिकार) अधिनियम 1958 जैसे तमाम कानूनों को वापस लिए जाने की मांग करते हैं।
कार्यक्रम - कैंडल लाइट विजिलदिनांक - 2 नवम्बर (सोमवार)स्थान - ज्योति सिनेप्लेक्स के पासऍम. पी. नगर, भोपाल समय -सांय 5 बजेयुवासंवाद और मध्यप्रदेश महिला मंच द्वारा आयोजित।इस कार्यक्रम में आप सभी आमंत्रित हैं
संपर्क- मनोज - 9754762958 पवन मेराज -9179371433 रिनचिन- ९४२५३७७३४९
युवा संवाद , ग्वालियर और स्त्री अधिकार संगठन इस आवाज़ को बुलंद करने के लिए २ नवम्बर, सोमवार को फूलबाग स्थित गांधी प्रतिमा के समक्ष सुबह साढ़े दस बजे एक बैठक करेगा. आप इसमें सादर आमंत्रित हैं.
ग्वालियर संपर्क : अशोक -- 09425487930 , अजय गुलाटी-- 90399088, फिरोज़ --9329074994
इरोम शर्मिला पर विस्तृत अध्ययन के लिए यहाँ क्लिक करें.
सैन्य बल के मणिपुर और आसाम के लिए विशेषाधिकार क़ानून की विस्तृत जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें.
27 सितंबर 2009
देश को तोड़ता है जातिवाद
13 अगस्त 2009
पंद्रह अगस्त पर युवा संवाद ग्वालियर की खुली बहस
शहीदों का स्वप्न और आजादी के छः दशक
साथियों,विदेशी दासता से हमें मुक्त हुए आधी सदी से अधिक साल गुजर गये। डेढ़ सौ वर्षोें से अधिक चले उस मुक्ति संग्राम में हमारे देशभक्त वीरों ने कठिन संधर्ष किया, अपने प्राणों की आहुति दी और अंततः देश को साम्राज्यवाद के चंगुल से आज़ाद कराने में सफल हुए। लेकिन क्या उनके लिए देश का अर्थ सिर्फ कागज पर बना हुआ नक्शा या नदी, पहाड़ और जमीन था जिसे वे गोरों से मुक्त कराना चाहते थे?ऐसा नहीं था। विदेशी शासन के उनके प्रतिरोध के मूल में थी शोषण और उत्पीड़न की शिकार इस देश की जनता। भूख, ग़रीबी, बेरोज़्ागारी के बोझ से कराहती आम जन की चीख ने उन्हें दुनिया की सबसे ताक़तवर सत्ता के खि़लाफ़ जंग में उतरने पर मज़बूर किया। उनका सपना था कि आज़्ााद भारत में हर आदमी व औरत को सम्मान से ज़िन्दगी जीने का मौका मिले, दो जून की रोटी मिले, रोजगार मिले और अपने सपने साकार करने के मौके। तभी तो भगत सिंह ने कहा था कि ‘अगर आज़्ाादी के बाद गोरे अंगे्रजों की जगह काले अंग्रेज सत्ता में आ गये तो इस आज़्ाादी का कोई अर्थ नहीं होगा’।लेकिन आज ऐसा महसूस होता है कि उनकी आशंकायें सच साबित हुई। पिछले छह दशकों के विकास के सारे दावों के बीच एक तरफ़ सत्तर फ़ीसदी आबादी जीवन की मूलभूत सुविधाओं से वंचित है तो दूसरी तरफ़ देशभक्ति और जातीय तथा धार्मिक भावनाओं के आधार पर उन्माद पैदा कर देश का कई स्तरों पर बंटवारा किया जा रहा है। जाति, धर्म, राष्ट्रीयता तथा लिंग के आधार पर होने वाले भेदभाव कम होने के बजाय बढ़ते ही जा रहे हैं।
‘युवा संवाद’ मध्यप्रदेश के विभिन्न स्थानों पर इन्हीं विसंगतियों के ख़िलाफ काम करने वाले युवाओं का सामाजिक-सांस्कृतिक समूह है। शहीद भगत सिंह तथा उनके साथिओं के विचारों के प्रति प्रतिबद्धता जताते हुए हम भगत सिंह के जन्म दिवस 27 सितम्बर को युवा दिवस के रूप में मनाने के लिये दृढ़ संकल्पित हैं। उनके विचारों को अगली पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए हम चाहते हैं कि उनके लिखे लेख पाठ्यक्रमों में शामिल हों। इन मांगों को लेकर हम प्रदेश भर में हस्ताक्षर अभियान की शुरूआत स्वतन्त्रता दिवस से कर रहे हैं।
हम उन शहीदों का सम्मान करने वाले हर नागरिक से इस अभियान में शामिल होने तथा अपना हमसफ़र बनने की अपील करते हैं। आईए मिलकर साथ चले ताकि शहीदों के सपनों का भारत बन सके।
संपर्क : 9425787930, 9229499088,
22 जून 2009
अब दखल है हमारी प्रादेशिक पत्रिका
29 अप्रैल 2009
इन्कलाब जिंदाबाद
Discussion and Cultural evening on 1 May 2009 [Mazdoor Diwas ]
Dear Friends
Yuva Samvad Bhopal going to organized a discussion and cultural evening on 1 May 2009 [Mazdoor Diwas ] at 11 No resourse centre, Sai baba Nagar Bhopal। Sathi Yogesh Dewan will Facilitate the discussion
Discussion and cultural evening
Time…5.30 To 8 Pm
Date…1 May 2009
Place …Community centre, Sai baba Nagar Bhopal
All friends are invited to join the programme
Yuva Samvad
9425667860
भारत का मजदूर आन्दोलन : कल और आज
युवा संवाद, ग्वालिअर द्वारा आयोजित परिचर्चा
१० मई,रविवार
9425787930