02 नवंबर 2009

इरोम शर्मिला के समर्थन में -- एक रिपोर्ट





(पहले जैसी सूचना दी थी हमने आज भोपाल और ग्वालियर में इरोम शर्मिला के समर्थन में आयोजन किए । पेश है उसकी रिपोर्ट )




भोपाल


2 नवम्बर ,भोपाल सरकार की दमनकारी नीतियों के विरोध में इरोम शर्मिला ने दस साल पहले आज के ही दिन मणिपुर में आमरण अनशन शुरू किया था। उन्हें सरकार घर परही नजरबंद कर रखा है और जबरन नाक के रास्ते खाना खिलाया जा रहा है। वह सैन्य बल (विशेष अधिकार) अधिनियम १९५८ को रद्द करने की मांग कर रही हैं। दरअसल मणिपुर में भारत सरकार का सैन्यबल (विषेष अधिकार) अधिनियम 1958 नामक दमनकारी कानून वहां सेना को महिलाओं और आम नागरिकों पर अत्याचार की खुली छूट देता है। पिछले एक दशक में मणिपुर में फर्जी एन्काउण्टर, महिलाओं के साथ बलात्कार, छेड़खानी और हत्याओं में लगातार वृद्धि हुई है। इसके खिलाफ खिलाफ सैन्य मुख्यालय के समक्ष निःवस्त्र प्रदर्शन व देशभर में विरोध के वाबजूद भारत सरकार की खमोशी और असंवेदनशीलता बरकरार है। उपर से दूसरे राज्यों में भी ऐसे दमनकारी कानून बनाए जाने की कोशिशें जारी हैं। इस मौके पर युवासंवाद और मध्यप्रदेश महिला मंच द्वारा सरकार की दमनकारी नीतियों के खिलाफ इरोम शर्मिला व उनके साथियों के संघर्ष का समर्थन में कैंडल लाइट विजिल का आयोजन ज्योति टाॅकीज के पास किया गया । कार्यक्रम में लोकतांत्रिक अधिकारों का दमन करने वाले सैन्यबल ( विशेष अधिकार) अधिनियम 1958 जैसे तमाम कानूनों को वापस लिए जाने की मांग की। कार्यक्रम में इस बात का भी जिक्र किया गया कि नर्मदा घाटी के कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले कर कायरता का काम किया है। इस घटना के विरोध में भूखहड़ताल पर बैठे रामकुवंर और चित्रूपा पालित का समर्थन करते हुए दोनों संगठनों ने इस बात की भर्त्सना की कि सरकार अपना जायज हक मांगने वालों को ही देशद्रोही करार देने पर तुली हुई है। युवासंवाद और मध्यप्रदेश महिला मंच के इस आयोजन में बड़ी तदाद में लोगो ने मोमबत्ती जलाकर अपनी सहभागिता दर्ज की। कार्यक्रम में शहर के साहित्यकर , छात्र व विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि शामिल होकर अपना समर्थन दिया । इस आयोजन में प्रगतिशील लेखक संघ, भारत ज्ञान विज्ञान समिति, महिला अधिकार संदर्भ केन्द्र, जनपहल, बचपन, मध्यप्रदेश शिक्षा अभियान, नागरिक अधिकार मंच, पीपुल्स रिसर्च सोसाईटी, मुस्कान आदि सस्था एवं संगठन ने एकजुटता जताई।




ग्वालियर




युवा संवाद , ग्वालियर द्वारा मणिपुर की कवियित्री और मानवाधिकार कार्यकर्ता इरोम शर्मिला के आमरण अनशन के दस वर्ष पूरे होने पर उनको नैतिक समर्थन देने के लिये फूलबाग स्थित गांधी प्रतिमा पर एक बैठक का आयोजन किया। ज्ञातव्य है के इरोम शर्मिला पिछले दस सालों से विशेष सशस्त्र बल कानून के ख़िलाफ़ आमरण अनशन कर रही हैं और उन्हें जबर्दस्ती नलियों द्वारा तरल पदार्थ देकर जीवित रखा गया है। इसी क्रम में मणिपुर की महिलाओं का संसद भवन पर नग्न प्रदर्शन भी खासा चर्चित हुआ था लेकिन सरकारों पर इनका कोई असर नहीं पडा। बैठक में भाग लेते हुए ट्रेद यूनियन नेता राजेश शर्मा ने लोकतांत्रिक अधिकारों के हनन पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि जनता के बीच लोकतांत्रिक चेतना के विस्तार हेतु प्रयास किया जाना चाहिये। आल इण्डिया लायर्स असोशियेशन के गुरुदत्त शर्मा ने कहा कि आज कभी नक्सलवाद तो कभी आतंकवाद की आड मे जो काले कानून लागू किये जा रहे हैं वे अंततः देश को एक फ़ासीवादी रास्ते पर ले जायेंगे। युवा कवि अशोक पाण्डेय ने इसकी जडें इतिहास में तलाशते हुए कहा कि लोकतंत्र भारत मे सिर्फ़ चुनावों तक सिमट गया है। युवा संवाद के अजय गुलाटी ने बताया कि युवा संवाद की भोपाल सहित अनेक इकाईयां इस मुद्दे पर आज कार्यक्रम कर अपना विरोध दर्ज़ करा रही हैं। इस अवसर पर स्त्री अधिकार संगठन की किरण , अशोक चौहान, जितेंद्र बिसारिया, कुलदीप, अविनाश, राजवीर, भगवान सिंह निरंजन सहित तमाम सामाजिक कार्यकर्ता उपस्थित थे। बैठक के अंत में सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पास केन्द्र सरकार से ऐसे काले कानून वापस लेकर पूर्वोत्तर सहित सारे देश में व्यापक लोकतंत्र की स्थापना की मांग की गयी।

1 टिप्पणी:

शरद कोकास ने कहा…

यह नैतिक समर्थन जायज़ है । इस रपट के लिये धन्यवद