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12 फ़रवरी 2012

सोनी सोरी की रिहाई के लिए धरना होगा.







दखल विचार मंच की पूर्वनिर्धारित बैठक आज फूलबाग स्थित गाँधी प्रतिमा के पास हुई. इसमें निम्नलिखित निर्णय लिए गए.

१- आगामी शनिवार, १८ फरवरी को फूलबाग गेट पर शाम ३ बजे से ५ बजे तक सोनी सोरी की रिहाई तथा उनका उत्पीडन करने वाले पुलिसकर्मी के पुरस्कार पर पुनर्विचार की मांग के साथ धरना दिया जाएगा. इसमें ग्वालियर के विभिन्न संस्कृतिकर्मी, साहित्यकार, ट्रेड युनियन कर्मी और बुद्धिजीवियों सहित आम जन की भागीदारी होगी.

२- आगामी २३ मार्च को शहीद भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव की शहादत दिवस पर शहीद मेला का आयोजन किया जाएगा. इसमें उन पर आधारित नाटक, जनगीत, भाषण, पुस्तक प्रदर्शनी, पोस्टर प्रदर्शनी आदि का आयोजन होगा.

३- इस अवसर पर युवा दखल का शहीद अंक निकाला जाएगा. यह अंक आजादी की लड़ाई में शहीद हुए उन शहीदों पर केंद्रित होगा जिन्हें मुख्य धारा के इतिहास से बाहर रखा गया है. साथ ही इसमें आज के समय में हाशिए की तमाम लड़ाइयों पर सामग्री होगी. सभी मित्रों से इसमें रचनात्मक तथा अन्य सहयोगों की अपेक्षा तथा अपील है.



बैठक में सर्वश्री राकेश अचल, राजेश शर्मा, जितेन्द्र बिसारिया, अशोक चौहान, अजय गुलाटी, अमित शर्मा, राहुल तिवारी, आशीष देवराड़ी, किरण पाण्डेय तथा अशोक कुमार पाण्डेय शामिल थे.

23 नवंबर 2010

आइये उत्सव मनायें!

पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुसार पिछले रविवार को फूलबाग़ के 'गांधी चबूतरे' पर दख़ल की 'चौपाल' सजी। विषय था - 'शहादत के मायने' 
                                                                                                                       

 कार्यक्रम की शुरुआत में विषय प्रवर्तन करते हुए अशोक ने कहा कि ज़ुल्म के ख़िलाफ़ लड़ते हुए मरने वाला हर कोई शहीद है।  लेकिन होता यह है कि जो व्यवस्था के पक्ष में लड़ते हैं उन्हें तो शहादत के तमगे दिये जाते हैं लेकिन जो इसके ख़िलाफ़ लड़ते हैं उन्हें भुला दिया जाता है। आज़ादी की लड़ाई के दौरान अपनी जान देने वालों ने केवल अंग्रेज़ों के जाने की नहीं बल्कि देशवासियों के एक बेहतर भविष्य की बात भी सोची थी। लेकिन वह सपना पूरा नहीं हुआ। विडम्बना यह है कि माफ़ी मांग कर छूटने वाले सावरकर तो 'वीर' बना दिये गये लेकिन अंडमान की जेल में अमानवीय यातनाओं के आगे न झुकने वाले तमाम शहीद बेनाम रह गये। मुस्लिम लीग या आर एस एस जैसी ताक़तों ने उस दौर में साम्राज्यवाद की दलाली की भूमिका निभाई और आज शहादत की पूरी परंपरा को हाइजैक करके सबसे बड़े राष्ट्रभक्त बने बैठे हैं।         

मज़दूर नेता राजेश शर्मा ने कहा कि ज़रूरत इस बात की है कि जनता और ख़ासतौर पर नई पीढ़ी को शहीदों की उस परंपरा के उद्देश्य से परिचित कराया जाये। प्रो जी के सक्सेना ने कहा कि आज युवा पीढ़ी अपने इतिहास से काट दी गयी है और वह अख़बारों तथा समाचार चैनलों द्वारा परोसे हुए अधकचरे ज्ञान के भरोसे अपना मानस बना रही है। डा अशोक चौहान ने कहा कि जो किसान और मज़दूर आज भूख और कर्ज से दबकर मर रहे हैं वे भी शहीद हैं। डा जितेन्द्र बिसारिया ने झलकारी बाई को ख़ास तौर पर याद करते हुए कहा कि ग़रीबों और दलितों को उनके अभूतपूर्व बलिदान के बावज़ूद इतिहास में कभी उचित स्थान नहीं मिला। 

इस अवसर पर बहस में भाग लेते हुए दख़ल संयोजक अजय गुलाटी ने बिस्मिल शहादत दिवस 27 दिसंबर से भगत सिंह शहादत दिवस 23 मार्च तक 'शहीद उत्सव' मनाने का प्रस्ताव किया। सभी का मानना था कि अन्य समानधर्मी संगठनों को साथ लेकर यह किया जाये। जल्दी ही एक बैठक बुलाकर इस बारे में फैसला लिया जायेगा। बैठक में कुलदीप, जयवीर, दिनेश सहित अन्य कई लोगों ने शिरकत की।

15 नवंबर 2010

'शहीद होने का मतलब क्या है'

वह शहर का सबसे प्रसिद्ध बाग है - फूलबाग़! चारों कोनों पर चारों धर्मों के पूजा स्थल…वहां जब बड़े गर्व से एक फ्रांसीसी मित्र को घूमाने ले गया तो वे बोलीं- हम नास्तिकों की जगह कहां है? हमने कहा बीच की सारी हरियाली हमारी है!

शादी समारोहों में बदलते बौद्धिक आयोजनों का ख़र्च उठा पाना हमारे वश में नहीं तो यही पार्क हमारी चर्चाओं/कार्यक्रमों का अड्डा बनता है। बीच में घास, गांधी प्रतिमा के आस-पास मार्बल का फ़र्श…बस दरी बिछाई और बैठ गये। बड़े साहित्यकार कभी नहीं आते पर कार्यकर्ता हमेशा आ जाते हैं। पार्क में घूमने आये कुछ लोग भी शामिल हो जाते हैं और मूंगफलियां खाते हुए घण्टे-दो घण्टे बैठकर दुनिया-जहान के मसलों पर बात भी करते हैं। कई बार पत्रकार आते हैं और समझ ही नहीं पाते कि कोई कार्यक्रम चल रहा है…

इस बार भी उसी गांधी चबूतरे पर जमेगी चौपाल…कोई अध्यक्ष नहीं न कोई मुख्य वक्ता…माला-माइक-नाश्ता कुछ नहीं…चाय की गारंटी है…विषय है कि 'शहीद होने का मतलब क्या है'…हम बुला तो हर आमोख़ास को रहे हैं पर उम्मीद आम से ही है!

अगले रविवार 21 तारीख़ की शाम आप आयेंगे न इस चौपाल में!