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06 जून 2010

जाति की जनगणना पर इत्ते पैसे क्यूं खर्च करना भाई!!

हर तरफ़ बहस चल रही है कि जाति की गणना जनगणना में शामिल होनी चाहिये कि नहीं…

मेरी समझ में यह नहीं आता कि अगर होनी चाहिये तो इसमें सरकार को इतने पैसे ख़र्च करने की क्या ज़रूरत है? मेरे पास एक आसान फार्मूला है…

पिछले चुनाव में जितने विधानसभा या लोकसभा के उम्मीदवारों (ख़ास तौर पर हारे हुए) का एक सम्मेलन बुलाया जाय। उन सबसे विधानसभा वार या चाहें तो गांव और मोहल्ला वार जाति की सारी डिटेल्स मिल जायेंगी…

तो भाई… आधिकारिक सरकारी गणना में हमें तो बस इतनी सी शिक़ायत है!!