हर तरफ़ बहस चल रही है कि जाति की गणना जनगणना में शामिल होनी चाहिये कि नहीं…
मेरी समझ में यह नहीं आता कि अगर होनी चाहिये तो इसमें सरकार को इतने पैसे ख़र्च करने की क्या ज़रूरत है? मेरे पास एक आसान फार्मूला है…
पिछले चुनाव में जितने विधानसभा या लोकसभा के उम्मीदवारों (ख़ास तौर पर हारे हुए) का एक सम्मेलन बुलाया जाय। उन सबसे विधानसभा वार या चाहें तो गांव और मोहल्ला वार जाति की सारी डिटेल्स मिल जायेंगी…
तो भाई… आधिकारिक सरकारी गणना में हमें तो बस इतनी सी शिक़ायत है!!
9 टिप्पणियां:
सही कहा :-)
भाई सरकारों के अस्तित्व के प्रश्न है..कोई रिस्क क्यूँ लेगी सरकार..एकदम पक्के सरकारी आंकड़े आयेंगे.
यही तो असली जनगणना है भारत मे
हम जाति की जनगणना का विरोध करते हैं।
रोचक
सही है भाई ... फॉर्मुला बिलकुल सही है ...
ये सुझाव है या व्यंग्य?
अच्छा आइडिया है लेकिन ये माननीय उम्मीदवार परस्पर विरोधी आंकड़े दे सकते हैं। राजनीति चीज ही ऐसी है। :)
mrityunjay kumar rai ने आपकी पोस्ट " जाति की जनगणना पर इत्ते पैसे क्यूं खर्च करना भाई!!... " पर एक टिप्पणी छोड़ी है:
जाति या यु कहे जातिवाद मूलक राजनीती को ज़िंदा रखने के लिए ही जातिवादी जनगणना हो रही है . मै एक अनुमान बता रहा हूँ , जिस दिन इस जाति जनगणना के अंतरिम आकडे आयेंगे , ओ बी सी का प्रतिशत ६० फीसदी के आसपास आयेगा . उसी दिन हिन्दुस्तान में एक नया महाभारत शरू होगा जिसमे कोई पांडव नहीं होगा बल्कि केवल कौरव ही होंगे . ओ बी सी नेता ५० फीसदी की सीमा तोड़ने के लिए आन्दोलन करेंगे , ट्रेने रोकी जायेंगी , बसे फुकी जायेंगी और देस एक अराजकता की तरफ बढ़ जाएगा . अगर आप इस बात से सहमत नहीं है तो अभी हाल का ही उदाहरण ले लिजीये . अभी पिछले साल ही राजस्थान की केवल एक जाति( गुर्जर ) ने आरक्षण के लिए पुरे राजस्थान को बंधक बना लिया था , आशा किजीये जब पूरा ओ बी सी वर्ग ही आन्दोलन में कूद पडेगा तो क्या हश्र होगा . सरकार कोई भी हो , चूले हील जायेंगी .
तो दिल थामकर इस जनगणना के interim data का इन्तेजार कीजिये , असली फिल्म तो तब शुरू होगी , ये तो टेलर था.
वाह जी राय साहब को तो ओबीसी संख्या पहले से ही मालूम है…सरकार इनसे सीधे सहायता ले सकती है…
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