देश में एक सामूहिक चेतना के विकास में सबसे बड़ा बाधक है जातिवाद। ब्राह्मणवाद संचालित हमारी जातिव्यवस्था हमेशा से ही अवसरवाद की चरम अनुयायी और पतनशील राज्यव्यस्थाओ की सहभागी तथा सहयोगी रही है। आजादी के दौर में पनपे तीनो विचारधारात्मक सरणियों में क्रांतिकारी विचारधारा के वैचारिक प्रतिनिधि भगत सिंह ने अछूत समस्या पर पहली बार वैज्ञानिक तरीके से व्याख्यायित किया। वह पूरी सामाजिक- आर्थिक व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन चाहते थे। इसीलिये यथास्थितिवादी कांग्रेस और पुनरुत्थानवादी मुस्लिम लीग और संघ दोनों ही भगत सिंह की वैचारिक विरासत के वाहक नहीं हो सकते। देशभक्ति उनके लिये देश की जनता को साम्राज्यवाद से मुक्ति दिलाकर एक शोषणमुक्त समाज की स्थापना थी । यह कहा भगत सिंह के जन्म दिवस पर युवा संवाद द्वारा आयोजित खुली बहस में भागीदारी करते हुए सेंट स्टीफ़ेंस कालेज के डा संजय ने। विषय था- देश देशभक्ति और भगत सिंह
अध्यक्ष डा जी के सक्सेना ने कहा कि हम हमेशा से दोहरे संस्कारों से घिरे रहे हैं। यहां अपनी गलतियों के लिये माफ़ी का रिवाज़ नही बल्कि उसे झुठलाने की कोशिश की जाती है। शहीदों की मूर्तियां हमने लगवायीं पर विचार तिरोहित कर दिये।
अजय गुलाटी ने कहा कि युवा संवाद जातीय, धार्मिक तथा लैंगिक भेदभाव के ख़िलाफ़ चेतना विकसित करने का काम करता रहेगा। आम जन आगे आकर हमारा सहयोग करें ताकि इस काम में गति आ सके।।
इस अवसर पर ग्वालियर इकाई द्वारा प्रकाशित पुस्तिका '' भगत सिंह ने कहा'' और भोपाल इकाई द्वारा प्रकाशित '' अंबेडकर से नई मुलाकात का वक़्त'' का विमोचन भी हुआ।
कार्यक्रम में युवा संवाद और स्त्री अधिकार संगठन के साथ शहर के बुद्धिजीवियों, युवाओं तथा नaगरिकों ने प्रभावी भागीदारी की।
भगत सिंह के जन्म दिवस पर
4 टिप्पणियां:
जरूर आपने भाग लिया होगा इसमें
हमने तो आपकी पोस्ट पढ़ कर
सार लिया सच में।
aap ke लेख में जागरूकता दिखाई दी..बहुत अच्छा लगा ..
सच लिखा है आज दोहरे sanskaron से baahar nikalne की jarurat है.
विजयदशमी की हार्दिक शुभकामनाएं!
विचारणीय पोस्ट.
नवरात्र और दशहरा पर्व की हार्दिक शुभकामना
Afsos hai ki Bhagat Singh jaise neta birle hi hote hain
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