30 सितंबर 2009

गोरखपुर के मज़दूर आन्दोलन की रपट

(यह रपट/अपील लखनऊ से भाई कामता प्रसाद ने भेजी है। इस संबंध में मुक्त विचारधारा eमें भाई स्वदेश कुमार का आलेख भी छपा है)
आनलाईन पेटीशन पर भी आप समर्थन कर सकते हैं
गोरखपुर में एक शांतिपूर्ण, न्‍यायसंगत मज़दूर आंदोलन को ''माओवादी आंतकवाद'' का ठप्‍पा लगाकर कुचलने की साज़ि‍श का विरोध करें!

प्रिय साथियो,
हम यहाँ पूर्वी उत्तर प्रदेश में स्थित गोरखपुर के दो कारख़ानों के आंदोलनरत मज़दूरों की ओर से जारी एक अपील प्रस्‍तुत कर रहे हैं। अगस्‍त के पहले सप्‍ताह से 1000 से ज़्यादा मज़दूर न्‍यूनतम मज़दूरी, सुरक्षा के बुनियादी इंतज़ाम, जॉब कार्ड, ई।एस.आई. जैसी मूलभूत मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं लेकिन उद्योगपतियों, प्रशासन और स्‍थानीय भाजपा सांसद योगी आदित्‍यनाथ सहित राजनीतिज्ञों के एक हिस्‍से ने उनके ख़ि‍लाफ़ गँठजोड़ बना लिया है। इन लोगों ने मीडिया की मदद से मज़दूर आंदोलन के विरुद्ध कुत्‍साप्रचार अभियान छेड़ दिया है और मज़दूर नेताओं को ''माओवादी आतंकवादी'' और मज़दूर आंदोलन को पूर्वी उत्तर प्रदेश में अस्थिरता फैलाने की ''आतंकवादी साज़ि‍श'' कहकर बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। भाजपा सांसद मज़दूर आंदोलन में चर्च के शामिल होने का आरोप लगाकर इस मुद्दे को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिशों में भी जुट गए हैं!


ये शक्तियाँ गोरखपुर में उभरते मज़दूर आंदोलन को अपने लिए एक गंभीर चुनौती के रूप में देख रही हैं क्‍योंकि यह एक-एक कारख़ाने में सीमित परंपरागत मज़दूर आंदोलन से भिन्‍न है जिसे अलग-थलग करके तोड़ देना उनके लिए आसान होता था। पूरे बरगदवा औद्योगिक इलाके के मज़दूरों ने आंदोलन कर रहे मज़दूरों को हर तरह से समर्थन देकर एकजुटता की शानदार मिसाल पेश की है। वर्तमान आंदोलन के पहले, इस इलाके के तीन अन्‍य कारख़ानों के मज़दूरों ने एकजुट होकर लड़ाई लड़ी थी और न्‍यूनतम मज़दूरी, काम के घंटे कम करने, जॉब कार्ड, ई.एस.आई. जैसी माँगें मनवाने में मज़दूर कामयाब रहे थे। (अब मालिकान-प्रशासन-नेताशाही के आक्रामक गँठजोड़ के चलते इन फैक्ट्रियों के मालिक भी मानी हुई माँगों को लागू करने से मुकर रहे हैं।) हाल ही में सात कारख़ानों के मज़दूरों ने आंदोलन के समर्थन में एक विशाल प्रदर्शन किया था।
प्रशासन इस आंदोलन को कुचलने के लिए नेताओं को झूठे मामलों में फँसाने के लिए सारे हथकंडे आज़मा रहा है। कुछ पुलिस अफ़सरों की ओर से सीधे धमकियाँ दी जा रही हैं कि कुछ नेताओं को ''आतंकवादी'' बताकर एन्‍काउंटर कर दिया जाएगा और कुछ को जिलाबदर कर दिया जाएगा। फैक्‍ट्री मालिकों के गुंडे मज़दूरों को ''सबक सिखाने'' के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।
विस्‍तार से जानने के लिए आंदोलन का संचालन कर रहे संयुक्‍त मज़दूर अधिकार संघर्ष मोर्चा की ओर से जारी अपील को पढ़ें। इस आंदोलन से संबंधित ख़बरें और उद्योगपतियों एवं भाजपा सांसद के बयान देखने के लिए यहाँ क्लिक करें। मज़दूरों को आपके सहयोग की ज़रूरत है। कृपया प्रशासन पर दबाव डालने के लिए उत्तर प्रदेश की मुख्‍यमंत्री और गोरखपुर के ज़ि‍लाधिकारी के नाम विरोध पत्र और ज्ञापन भेजें तथा उनकी प्रतियाँ श्रम मंत्री, श्रम सचिव, राज्‍यपाल और गोरखपुर के उपश्रमायुक्‍त को भी भेजें। फैक्‍स/फोन नंबरों, पतों और ईमेल पतों की सूची के लिए यहाँ क्लिक करें।

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