विचार सत्र में बोलते हुए राज्य संयोजक प्रदीप |
- जिसे आज आमतौर पर भूमण्डलीकरण कहा जाता है वह दरअसल पूंजी का भूमण्डलीकरण है। श्रम आज भी जंज़ीरों में जकड़ा हुआ है। विकास के इस पूरे विमर्श से समानता का तत्व बाहर हो गया है। इसका सही विकल्प केवल बराबरी पर आधारित एक सामाजार्थिक-राजनैतिक व्यवस्था के ज़रिये पाया जा सकता है।
- आज के दौर में ज़रूरी नहीं कि परिवर्तन बीसवीं सदी की ही तरह हिंसात्मक आंदोलनों के ज़रिये हो। बीसवीं सदी का समाजवाद पिछड़ी हुई अर्थव्यवस्थाओं में युद्ध के असाधारण काल में आया था…तो उसका आऊटलुक भी उसी के अनुरूप था। आज उनकी नक़ल नहीं हो सकती।
जयवीर, मनोज,इमरान,निशांत और अशोक |
- माओवादी दल आज जिन मुद्दों को उठा रहे हैं वे जायज़ हैं लेकिन हिंसा का जो रास्ता वे अपना रहे हैं वह उन्हें आतंकवाद की ओर ले जा रहा है। यह धीरे-धीरे अराजक ख़ून-ख़राबे में बदल रहा है। ऐसी हिंसा, चाहे राज्य की हो या किसी दल की, उसे उचित नहीं ठहराया जा सकता।
- महिला आरक्षण बिल सदियों से उत्पीड़ित इस तबके के उत्थान के लिये आवश्यक सकारात्मक पहल है। इसका समर्थन किया जाना चाहिये। साथ ही दलित, पिछड़े तथा अल्पसंख्यक समुदायों की चिंताओं पर भी गौर किया जाना चाहिये।
यहां परिचर्चा में भागीदार महेन्द्र,फिरोज़, प्रदीप |
- आज जाति, धर्म और जेन्डर की पुरोगामी सरंचनाओं के ख़िलाफ़ एक सामाजिक-सांस्कृतिक आंदोलन की ज़रूरत है और युवा संवाद इसमें अपनी पुरज़ोर भूमिका निभायेगा।
ये कुछ निष्कर्ष हैं जो युवा संवाद के दो दिवसीय राज्य सम्मेलन में निकल कर सामने आये…विस्तृत रिपोर्ट जल्दी ही।
शहीदी दिवस (23 मार्च) पर आप सबका अभिनन्दन!
12 टिप्पणियां:
बहुत ही अच्छी पहल है...आशा है कुछ सार्थक कदम उठाये जाएंगे और वे फलीभूत भी हों...
विस्तृत रिपोर्ट का इंतज़ार
(पर युवा सम्मलेन और इतने कम लोग उपस्थित हैं??)
रश्मि जी यहां कुल 30 डेलीगेट्स अलग-अलग शहरों से आये थे। यह संख्या कम तो है पर अभी इस नयी शुरुआत में यह भी बल ही देती है। उम्मीद है कि हम अगर कुछ सार्थक पहल कर पाये तो संख्या में गुणात्मक परिवर्तन होगा ही…
आप के प्रयास सफल हों!
युवा संवाद से एक नयी रौशनी की उम्मीद है... किस तरह उसको सहयोग दिया जाए?
अच्छा संवाद है। मेरी शुभकामनाएं। इन्हीं कोशिशों से ही दुनिया रहने और रचने लायक बनी रहती है।
बिल्कुल सही है कि भूमंडलीकरण सिर्फ़ पूँजी का हुआ है श्रम का नहीं. केन्द्र-परिधि सिद्धान्त यही तो बताने की कोशिश करता है. ये पूँजीवादी देशों की सोची-समझी चाल है क्योंकि जिस दिन श्रम का भूमंडलीकरण हो जायेगा उस दिन तीसरी दुनिया के देशों का वर्चस्व हो जायेगा. इसीलिये ये देश दुनिया भर के वीज़ा और न जाने कैसे-कैसे नियम बनाकर तीसरी दुनिया की श्रम शक्ति को रोकना चाहते हैं और नई आर्थिक विश्वव्यवस्था के नाम पर बगले झाँकने लगते हैं.
युवा दखल के अन्य निष्कर्ष भी बहुत संतुलित हैं. युवाओं को सही दिशा देने का प्रयास...साधुवाद !!!
koi ladki nahin dikhayee de rahi...?
अरे वर्षा जी गौर से देखिये पहली ही फोटो में…अब तक हमारी राज्य संयोजक ही महिला थीं-- किरण…विस्तृत रिपोर्ट में और तस्वीरें लगाऊंगा…कुल 30 लोगों में छह महिलायें थीं…उम्मीद है आगे रेशियो और बढ़ेगा…
अगर यह स्थान करीब होता हम भी उपस्थित होते..खैर..अच्छा लगा आपका प्रयास ..कई मित्र कहते हैं अशोक जी बहुत गंभीर होकर कार्य करते हैं...सच ही कहते हैं.
बढ़िया रपट है
शहीद भगत सिंह पर एक रपट यहाँ भी देखें
http://sharadakokas.blogspot.com
क्या सभी ३० के ३० प्रतिनिधि मध्य प्रदेश से ही थे
अंतिम तस्वीर में एक तो दिल्ली वाले दीख रहे हैं
जिन्होंने आजकल मध्य प्रदेश की नागरिकता ले रखी है
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युवा संवाद के सभी साथियों को इस सफल आयोजन के लिए बधाई
आशीष भाई…ये नागरिकता के सवाल पर हम राज ठाकरे से अलग सोचते हैं भाई…
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