एक फैसला टल जाने से कुछ नहीं बदला…हवा में ज़हर की गंध बख़ूबी पहचानी जा सकती है…बशर्ते सड़क पर निकला जाय। कोर्ट के फैसले के बाद माहौल विषाक्त बनाने की कोशिशें फिर एक बार की जायेंगी…ऐसे में जनपक्षधर ताक़तों की ज़िम्मेदारी बनती है कि माहौल में घुले ज़हर को न केवल पहचाने बल्कि उसे साफ़ करने की कोशिश भी करें। इसी ज़िम्मेदारी को निभाने के लिये दख़ल विचार मंच ने पहले एस एम एस अभियान से जनता को जागरूक करने की कोशिश की और अब 27 तारीख़ को शहीदे आज़म भगत सिंह के जन्मदिवस पर 'क़ौमी एकता दिवस' मनाने के लिये पहल की है।
हमारी इस पहल पर शहर के बीमा कर्मचारी यूनियन, ग्वालियर यूनाईटेड काउंसिल आफ़ ट्रेड यूनियन्स, जलेस, प्रलेस, स्त्री अधिकार संगठन, आल इण्डिया लायर्स एसोशियेसन, संवाद, एटक, मध्य प्रदेश मेडिकल रिप्रेजेन्टेटिव यूनियन आदि संगठनों ने संयुक्त रूप से शहर के मध्य में स्थित फूलबाग़ के गेट पर शाम 6 बजे से एक आम सभा करने और शहर से शांति तथा धार्मिक सद्भाव बनाये रखने तथा सांप्रदायिक शक्तियों के मंसूबे नाकाम करने की अपील की है।
अगर आप उस दिन ग्वालियर में हैं…तो इस कार्यक्रम में ज़रूर शामिल हों…
4 टिप्पणियां:
आपका प्रयास सराहनीय है!
इसी तरह के सक्रिय हस्तक्षेपों की जरूरत है...
शहीदे आज़म ज़िन्दाबाद
एक सक्रिय पहल।
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