जनसत्ता के पिछले रविवारी में वरिष्ठ कवि तथा आलोचक विष्णु खरे का आलेख अभी सबद में प्रकाशित हुआ तो मुझे लगा कि समर्थन में टिप्पणियों की भरमार हो जायेगी। जाके टीप भी आया … पर दो दिन के इंतज़ार के बाद महज़ बारह टीपें! उसमें भी दो हमारी यानि कायदे के लोगों कि बस दस!!! भाई विजय जी की टीप नहीं लगी तो उन्होंने पोस्ट ही लगा दी। पर वहां भी बस कायदे के दो लोग पहुंचे… वो भी पहले सबद पर आके टिप्पणी दे ही चुके थे।
तो क्या बस यही लोग हैं सैमसंग प्रायोजित पुरस्कार से क्षुब्ध, व्यथित या फिर डरे हुए? बाकि? पलक पांवडे बिछाने वाले कुछ तो होंगे ही, कुछ इसमें शामिल लेकिन निश्चित तौर पर सबसे बडी संख्या उन लोगों की होगी जो बस चुपचाप हवा का रुख भांप रहे होंगे।
वैसे मेरा डर अलग है… अब विभाजक रेखायें साफ़ खिंचेंगी। साफ़ पूछा जायेगा-- जब मंत्रियों, संत्रियों, सेठ-साहूकारों और दलालों से पुरस्कार लेने में नहीं हिचके तो इनके अब्बा से काहें डर रहे हो? अमेरिका और इंगलैण्ड जाने के लिये लार टपकाते शर्म नहीं आई तो जब आका ख़्हुद ही घर आके ईनाम देना चाह रहा है ति नौटंकी किसलिये? और तब यह देखना कितना भयावह होगा कि हमारे तमाम आदर्श चेहरे छुपाये चुपचाप रेखा के उस ओर सरक जायेंगे।
आप क्या कहते हैं? एक अभियान चलाया जाये कि भैया यहां खून जलाने आये थे हम… अपनी जनता के पक्ष में आवाज़ बुलन्द करने और इसके लिये हमें जनता का ख़ून चूसने वालों से इनाम नहीं चाहिये। लिखना सुविधायें जुटाने का नहीं असुविधा बटोरने का काम है। भाड में जाये पुरस्कार हमे जनता का प्यार चाहिये!
शायद यही निर्भय करेगा हमें सैमसंग से!
4 टिप्पणियां:
भैया, पहले यह देख लो कि आप कौन सा टूथ पेस्ट , कौन सा ब्लेड और कौन सा साबुन उपयोग में लाते हैं?
पहले इन सब के लिए एक फ़ैकटरी कर लूं
फिर पुरस्कार कि बार सैमसंग की जाएगी :)
{कविवर नीरज से क्षमा के साथ}
एक अभियान चलाया जाये कि भैया यहां खून जलाने आये थे हम… अपनी जनता के पक्ष में आवाज़ बुलन्द करने और इसके लिये हमें जनता का ख़ून चूसने वालों से इनाम नहीं चाहिये। लिखना सुविधायें जुटाने का नहीं असुविधा बटोरने का काम है। भाड में जाये पुरस्कार हमे जनता का प्यार चाहिये!
शुभकामनाएँ और बधाई!
सबद पर अपने विचार व्यक्त कर आया हूँ ..लेकिन यह सैमसंग ? इससे कौन डरता है .. इससे कोई नहीं डरता है इसलिये कि यह भी बाज़ार का एक खिलाड़ी है और कोई बहुत बड़ी तोप नहीं है । अभी कल सैमसंग मोबाइल वालों से लड़कर आया हूँ आठ माह पुराना मोबाइल है बैटरी खराब हो गई लेकिन बैटरी की गारंटी छह माह थी । नई बैटरी 750 की है 2000 के मोबाइल पर .. नियम की किताब बता दी .. अब सोच रहा हूँ उपभोक्ता फोरम में दावा कर दूँ लेकिन कुछ मिलेगा नहीं .. बस यह पता चल गया कि इन पुरस्कारों के लिये पैसा कहाँ से आयेगा ..हमारी जेब का .हमारी मेहनत का पैसा है यह । मतलब खून तो जलाना ही है किसी भी हालत में !!
शब्द कोकस भाई सेमसंग यहाँ अमेरिका के पूंजीपति संस्थानों को व्यंग में कहा गया है
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