आगरा बाज़ार , चरणदास चोर और पोंगा पंडित जैसे नाटकों के ज़रिये अपना सक्रिय हस्तक्षेप दर्ज कराने वाले नाट्यकर्मी,कवि और लेखक हबीब तनवीर साहब नहीं रहे।
१ सितम्बर १९२३ को रायपुर में जन्मे हबीब साहब पढ़ाई ख़त्म कर १९४५ में बम्बई पहुंचे और वही प्रगतिशील लेखक संघ और इप्टा से जुड़े और इस तरह शुरू हुआ उनका सफर योरप से लगाये रायपुर तक एक लंबा और बड़ा सफर रहा।
पूरी उम्र वह एक तरफ़ लोक कला के विभिन्न क्षेत्रों में प्रयोग करते रहे तो साथ ही साथ साम्राज्यवाद और साम्प्रदायिकता के खिलाफ जंग में भागीदारी भी।
अभी पिछले साल बेगुसराय में प्रगतिशील लेखक संघ के राष्ट्रीय सम्मलेन में उन्होंने अपने इसी संकल्प को दोहराया था।
युवा संवाद उनको क्रन्तिकारी सलाम पेश करता है.
5 टिप्पणियां:
हबीब साहब को नम आंखों से नमन…।
उन्हे विनम्र श्रद्दांजली !!
श्रृद्धांजलि!!
rang manch ke purodha ko salam
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