जलाओ चाँद सितारे चिराग काफ़ी नहीं
ये शब है जश्न की शब रोशनी ज़्यादा रहे
दुआ के हाथ उठाओ के वक़्ते नेक आये
रुख ए अज़ीज पे महकी है उम्र ए रफ़्ता भी
उठाओ हाथ के ये वक़्त खुश मुदाम रहे
ऑर इस चमन में बहारो का इन्तेज़ाम रहे।
नववर्ष की शुभ कामनाओ सहित
अशोक कुमार पाण्डेय
(यह मुझे मेरे दोस्त भाई मुकुल ने एस एम एस से भेजा था)
2 टिप्पणियां:
"नये साल ऑर क्यूबा की क्रान्ति की ५० वी वर्षगाँठ पर"
आप को बहुत बहुत बधाइयाँ!
"क्यूबा की क्रान्ति की ५० वी वर्षगाँठ पर"
नये साल पर आप को बधाइ.
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