आज पूरे पैंतीस साल हो गये!
पापा बार-बार फोन हाथ में ले बधाई देने की हिम्मत जुटा रहे होंगे। मां ने शायद एकाध दिन पहले से ही पुराना एलबम निकाल लिया होगा…भाई लोग अपनी व्यस्तता के बीच शायद ही याद कर पायें और जब बाद में याद आये तो बिलेटेड कहके झेंप मिटा लें। अभी बस बिटिया उठेगी और किरण के साथ फोन पर ही गायेगी…हैप्पी बर्थडे टू यू!
1975 में आज ही के दिन एक उदास ठंढी रात उस छोटे से गांव में जब मैंने पहली सांसे ली थीं तो बाबा बताते थे कि ताज़िये भी उठ रहे थे। नाना और बाबा दोनों ख़ानदानों की इस पीढी की पहली संतान। खुश कैसे नहीं होते वे…
और बाबा तो बस जैसे जान छिड़कते थे…जब तक रहे इस दिन साथ हों न हों दावत ज़रूर करते रहे और गये तो साथ लेते गये इस दिन की ख़ुशी को भी। 1993…मेरा अठारहवां जन्मदिन। बालिग होने को हम सेलीब्रेट कर रहे थे हास्टल में…अगले दिन पेपर होने के बावज़ूद। चिकन मैंने बनाया था…पहली बार एरिस्टोक्रेट प्रीमियम चखाई थी यार लोगों ने…ग़ुलाम अली की आवाज़ में अहमद फ़राज़ की ग़ज़लें…कहकहे…कवितायें…जाने क्या-क्या! और बाबा बस आठ किलोमीटर दूर गोरखपुर के एयरफ़ोर्स हास्पीटल में आख़िरी सांसे ले रहे थे। मुझे बताया तक नहीं गया था कि कहीं बीए का वह साल न ख़राब हो जाये। चार दिन बाद जब परीक्षा ख़त्म हुई और हाल से बाहर निकलते हुए पापा को बढ़ी हुई दाढ़ी और भरी आंखों में देखा तो कुछ कहने सुनने की ज़रूरत नहीं रही…मैने पूछा – ‘कब हुआ’…पापा बोले – ‘तुम्हारे बर्थडे वाले दिन’…न रुलाई…न आंसू…न शब्द
और आज सत्रह साल बीत गये। कभी सेलीब्रेट कर ही नहीं पाया। बस एक बार एम ए अंतिम वर्ष में दोस्तों ने बिना बताये जो सब कर दिया तो ना नहीं कर पाया। मैं उदास यूनिवर्सिटी पहुंचा तो क्लास ख़त्म होने के बाद वे विभाग के एक कमरे में ले गये मुझे। वहां सारे जमा थे…अल्का घर से केक बनाकर लाई थी…वंदना ने एक पेन सेट गिफ़्ट किया था, विजय ने मज़ाज़ की किताब, शिप्रा ने एक बेहद प्यारा सा कैंडल स्टैंड और भाई लोग ने गोल्डफ़्लैक की पैकेट के साथ लाईटर… सामान तो अब कोई साथ नहीं पर उस दिन की स्मृति कभी नहीं मिट सकती…आज बताता हूं दोस्तों … हास्टल जाकर देर तक रोता रहा था उन सब गिफ़्ट्स को सामने रखकर। तुम जहां भी हो मेरी प्यारी दोस्तों तुम सबको मेरा ढेर सारा प्यार… कौन क्या बना मेरे लिये मायने नहीं रखता…बड़ी बात ये है कि तुम सब बहुत अच्छे इंसान थे…और दुनिया को अच्छाई की बहुत ज़रूरत है।
इस साल बिटिया ने सरप्राईज़ प्लान किया था। पापा से छुपाकर…पर उसे बीमार मौसी को देखने बेंगलौर जाना पड़ा। और आज सुबह पांच बजे जब लखनऊ से लौटकर घर का दरवाज़ा खोला तो बस उसी की याद आई। फोन लिये बैठा हूं आठ बजने के इंतज़ार में।
ब्लाग हमेशा से मुझे ख़ुली डायरी जैसा लगता है…यह सब शायद कहीं और नहीं लिख पाता…आप सबके साथ बांटकर सहज महसूस कर रहा हूं। चाहें तो बधाई भी दे सकते हैं!
ड्रार में थोड़ी सी शराब बची है…आज तन्हाई के साथ इन पैंतीस सालों का लेखा-जोखा किया जाये तो?
23 जनवरी 2010
हैप्पी बर्थडे टू मी!!
( वेरा के बनाये तमाम कम्प्यूटर चित्रों में से एक)
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14 टिप्पणियां:
जीवन उत्साह, उमंग और उदासियों के बीच ही सांस लेता है भाई। जन्मदिन की मुबारकबाद स्वीकारों यार।
बधाई आपको.वेरा का बनाया चित्र बहुत सुंदर है.ऐसी ही आत्मीय सुन्दरता आपके जीवन में हमेशा रहे.
हैप्पी बड्डे
आज छुट्टी है। पास के किसी पार्क की बेंच जा बैठिए। हँसता खेलता बचपन दारू से बेहतर विकल्प है।
प्रिय अशोक,
जीवन मीठी लगती खुशियों के बीच सेंध लगा कर कब थोड़ा सा नमक रख देता है हमें पता ही नहीं चलता. लेकिन इसी थोड़े से नमक की याद और स्वाद से जीवन भी चलता है और कविता भी. मैं छत्तीस पार हुआ हूँ और तुम पैंतीस....ये साल तुम्हें और रचनात्मक ऊर्जा से भरेगा...संग्रह भी आएगा...मार्क्स वाली किताब आ ही गयी. कुछ और योजनाओं पर काम करोगे....इस सबमें फिर वही नमक काम आएगा. जो बीत गया वो सिर्फ़ हताश ही नहीं करता..तोड़ता ही नहीं ....कभी भीतर कहीं चुपचाप कुछ जोड़ता भी है. वेरा का काम शानदार है.
"बहुत मार्मिक है!"
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शुभकामनाएँ और बधाई -
ख़ुशियों के लिए!
janm din ki dher sari badhai. baba ko to jana hi tha. sab jate hain, lekin aapke janm din k din he... baharhal, is bahane baba bhi har saal yaad aate hain. halanki bachpan ka pyar, dular zindgi bhar sath nahi chhodta.
...
Baba ko yaad karte hue apko janmdin mubarak
janmdin ki shubhkamnaen...mere baba bhi mujhe bahut bahut yaad aate hain...main bhi ant samay mein unke paas nahin thi.sanyog tithiyon ke mohtaaz nahin hote.
जन्मदिन की बधाई एवं शुभकामनाएँ.
जनम दिन मुबारक .......... अच्छा सोचें और खुश रहें .......
touching! memories emotions and the end is great! happy birthday!
जन्म-दिन मुबारक हो!
नया वर्ष स्वागत करता है , पहन नया परिधान ।
सारे जग से न्यारा अपना , है गणतंत्र महान ॥
गणतन्त्र-दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!
बहुत शुभकमनाएँ.....मंगल हो....आपका
यह भी खूब रही...
अब तो लेखा-जोखा भी हो चुका होगा...
आठ तो कब के बज ही चुके...
किसी एक दिन के लिए इतना भावुक हो उठना अच्छा नहीं है...
बधाई तो दी ही जा सकती है...देर से ही सही...
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