31 अक्टूबर 2009

इरोम शर्मीला के समर्थन में

( मणिपुर में ही सेना के अत्याचार के ख़िलाफ़ नग्न प्रदर्शन करने को मजबूर महिलाओं के समर्थन में अंशु की कविता का पोस्टर )

साथी,
इरोम शर्मिला एक युवा महिला हैं जो पिछले 10 वर्षों से आमरण अनश पर हैं। उन्हें सरकार ने घर पर ही नजरबंद कर रखा है और जबरन नाक के रास्ते खाना खिलाया जा रहा है। वह सैन्य बल (विशेष अधिकार) अधिनियम 1958 की वापसी की मांग कर रही हैं। गौरतलब है कि 2 नवम्बर को मणिपुर में सैन्यबल ( विशेष अधिकार) अधिनियम 1958 के विरू़द्ध इरोम शर्मिला अपने आमरण अनशन के दस वर्ष पूरे कर लेंगी। इसमें संदेह नहीं ये वर्ष भारतीय लोकतन्त्र के लिए शर्म में डूबे हुए वर्ष हैं। अब भी भारतीय प्रजातन्त्र के अनुसार सम्मानजनक जीवन की मांग करना आत्महत्या है (भारतीय सरकार का उनके अनशन के प्रति यही रूख़ रहा है) और सैन्यबल विशेषाधिकार सुरक्षा के लिए आवश्यक हक....वो हक जो पूर्वोत्तर के राज्यों में एन्काउण्टर, बलात्कार और हत्याओं को जायज ठहराता है। क्या मणिपुर में महिलाओं द्वारा सशस्त्र राज्य की ताकत के खिलाफ सैन्य मुख्यालय के समक्ष निःवस्त्र प्रदर्शन लोकतान्त्रिक राज्य के प्रचारित गौरव को शर्मसार नहीं करता ? शायद नहीं! क्योंकि दूसरे राज्यों में भी ऐसे दमनकारी कानून बनाए जाने की कोशिशें जारी हैं। हम सरकार की दमनकारी नीतियों के खि़लाफ इरोम शर्मिला व उनके साथियों के संघर्ष का समर्थन करते हैं। हम लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों का दमन करने वाले सैन्यबल ( विशेष अधिकार) अधिनियम 1958 जैसे तमाम कानूनों को वापस लिए जाने की मांग करते हैं।


कार्यक्रम - कैंडल लाइट विजिलदिनांक - 2 नवम्बर (सोमवार)स्थान - ज्योति सिनेप्लेक्स के पासऍम. पी. नगर, भोपाल समय -सांय 5 बजेयुवासंवाद और मध्यप्रदेश महिला मंच द्वारा आयोजित।इस कार्यक्रम में आप सभी आमंत्रित हैं

संपर्क- मनोज - 9754762958 पवन मेराज -9179371433 रिनचिन- ९४२५३७७३४९

युवा संवाद , ग्वालियर और स्त्री अधिकार संगठन इस आवाज़ को बुलंद करने के लिए २ नवम्बर, सोमवार को फूलबाग स्थित गांधी प्रतिमा के समक्ष सुबह साढ़े दस बजे एक बैठक करेगा. आप इसमें सादर आमंत्रित हैं.
ग्वालियर संपर्क : अशोक -- 09425487930 , अजय गुलाटी-- 90399088, फिरोज़ --9329074994

इरोम शर्मिला पर विस्तृत अध्ययन के लिए यहाँ क्लिक करें.

सैन्य बल के मणिपुर और आसाम के लिए विशेषाधिकार क़ानून की विस्तृत जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें.


6 टिप्‍पणियां:

अविनाश वाचस्पति ने कहा…

मैं भी इन शर्मनाक कानूनों का विरोध करता हूं और आपके साथ हूं।

शरद कोकास ने कहा…

लोकतांत्रिक अधिकारो का दमन करने वाले हर कानून का विरोध किया जाना चाहिये ।

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

कोई राज्य सत्ता जनतांत्रिक अधिकार बर्दाश्त नहीं करती। उस का सतत विरोध आवश्यक है।

मनीषा पांडे ने कहा…

हम इरोम शर्मिला का समर्थन करते हैं।

शायदा ने कहा…

अमानवीयता और इस बेशर्मी का विरोध और इरोम शर्मिला का समर्थन।

neera ने कहा…

ऐसी शक्तिशाली, निर्भीक, दृढ महिला और कवित्री को प्रणाम! यह संघर्ष हम सभी का है यह संघर्ष और भी मुश्किल है जहाँ सरंशक ही शत्रु है