पहली किताब के बारे में बताते हुए पाब्लो नेरुदा ने लिखा है कि जब प्रकाशक के यहाँ से उसे लेकर वो आ रहे थे तो जैसे बच्चों की तरह व्यग्र थे...स्याही की उस खुशबू से मदमस्त
हम क्या कहें ... अभी तो कवर देख के ही मदमस्त हो रहे हैं। आज का रस रंजन इसी के नाम
बहुत बहुत बधाई आपको .. बारह वर्ष पहले ही इस दौर से गुजर चुकी हूं मैं .. डेढ वर्ष के अंदर दो दो संस्करण निकल गए थे उसके .. पर वह इतनी अनायास सफलता थी कि उसे महसूस भी न कर सकी .. आज जब संघर्षों के दौर से गुजर रही हूं .. तो लगता है कि अगली पुस्तक जब भी प्रकाशित होगी .. मुझे असीम आनंद देगी !!
हाँ अब यह मुखपृष्ठ अपने सम्पूर्ण कैनवास मे अच्छा लग रहा है । भाई रचना को जन्म देने की प्रक्रिया और उससे उपजी खुशी मे यह सब भी शामिल है ।- जब तक पुस्तक मेरे पास नही आ जाती मै ऐसे ही बधाई देता रहूंगा - शरद
9 टिप्पणियां:
बधाई हो अशोक भाई. समझ सकता हूँ. इसी दौर से कुछ माह पूर्व गुजरा जब मेरी पहली पुस्तक 'बिखरे मोती' प्रकाशित हुई.
एक बार पुनः बधाई एवं हार्दिक शुभकामनाऐं.
पहली किताब पर अग्रिम बधाई!
कवर सुंदर छपा है।
बहुत बहुत बधाई आपको .. बारह वर्ष पहले ही इस दौर से गुजर चुकी हूं मैं .. डेढ वर्ष के अंदर दो दो संस्करण निकल गए थे उसके .. पर वह इतनी अनायास सफलता थी कि उसे महसूस भी न कर सकी .. आज जब संघर्षों के दौर से गुजर रही हूं .. तो लगता है कि अगली पुस्तक जब भी प्रकाशित होगी .. मुझे असीम आनंद देगी !!
बहुत बहुत बधाई। पहला कदम ही मुश्किल होता है, ऎसा विद्धवान लोग कहते हैं, वही दोहरा रहा हूं। शुकामनाएं।
हाँ अब यह मुखपृष्ठ अपने सम्पूर्ण कैनवास मे अच्छा लग रहा है । भाई रचना को जन्म देने की प्रक्रिया और उससे उपजी खुशी मे यह सब भी शामिल है ।- जब तक पुस्तक मेरे पास नही आ जाती मै ऐसे ही बधाई देता रहूंगा - शरद
badhai bhai, grt news.
aaj hi aapki kitab mangvata hun aur aapko fie us par likhunga.. dhero badhai aapko..chandrapal@aakhar.org
बधाई हो अशोक जी...दिल से!!!
समझ सकता हूँ खुशी...मेरी पहली रचना जब हंस में छपी थी तो कितना इतराया था मैं!!!
"मार्क्स" तो अपने कप की चाय(!) नहीं है, लेकिन हाँ आपकी कविता-संकलन का बेसब्री से प्रतिक्षा कर रहा हूँ।
बधाई!
मुखपृष्ठ अच्छा है!
अंदर की बातें कब बताएँगे?
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