31 जुलाई 2009

एक और बाबरी?

पुरानी मस्जिद का गिराया जाना
चक्रपाणि
पिछले दिनों उ0प्र0 के गोरखपुर महानगर में स्थित एक प्राचीन मस्जिद गिराने का मामला प्रकाश में आया। उक्त मस्जिद से आमजन को किसी भी प्रकार की कोई असुविधा नही हो रही थी। लेकिन गोरखपुर जिला प्रशासन ने सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे का हवाला देतें हुए पिछले दिनों बुलडोजर लगाकर ढ़हा दिया। इस घटना के बाद शहर का माहौल तो नही बिगड़ा लेकिन अल्पसंखयक समुदाय में जर्बदस्त नाराजगी व्याप्त है। सर्वविदित है कि गोरखपुर के ऐसा शहर है जहाॅ सामप्रदायिक दंगे छोटी-छोटी बातों को लेकर भडक जातें है यहां सामप्रदायिक दंगा भडकाने तथा अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ जहर उगलने का काम यहां के सांसद व गोरक्षपीठ के उत्तराधिकारी योगी आदित्यनाथ अक्सर किया करते है। मस्जिद मिराने के पीछे यह तक दिया जा रहा है कि वह सरकारी जमीन में थी। ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या जिलाप्रशासन उन सारे स्थानों को खाली कराने की हिम्मत रखता है जो कि हिन्दू मंदिरों के नाम पर कब्जा किये गये है। चाहे वह गोरखपुर विश्वविद्यालय के पास सडकों के किनारे बने भव्य मंदिर हों या गोलघर या फिर रेलवे स्टेशन रोड पर बने अनेक मंदिर क्या ये मंदिर आतिक्रमण या अवैध कव्जों के अन्तर्गत नही आते ?
अगर मस्जिद के बजाय किसी हिन्दू मंदिर पर इस प्रकार की विध्वंसक कार्यवाही हुई हाती तोे, सडक से लेकर संसद तक बवाल मचगया गया होता लेकिन यह मामला अल्पसंख्यक समुदाय का होने के नातें कोई बोलने को तैयार नही है पढा-लिखा मुस्लिम तबका शांतिपूर्ण तरीके से अपना विरोध दर्ज करा रहा है। वह कोई उग्र कार्यवाही से बच रहा हे वह नही चाह रहें है कि शहर का माहौल बिगडे क्योकि मौका पातें ही हिन्दु युवावाहिनी के लम्पट तत्व शहर को सामप्रदायिकता की आग में जला डालेगे । मुस्लिमों के बीच भय का माहौल सिर्फ गोरखपुर मे ही नहीं बल्कि पूरे देश में व्याप्त है हर जगह अल्पसंख्यक समुदाय के ऊपर अक्सर हमले होतें रहे है। बतादे कि जबसे गोरखपुर में यह घटना घटी है तबसे पुलिस प्रशासन द्वारा पुलिस बल को दंगा भडकने की स्थिति में कैसे कार्य किया जाता है इस बात का प्रशिक्षण दिलाया जा रहा है। गली मुहल्लों में सौकडो की संख्या में पुलिस मार्च कराया जा रहा है। पुलिस अधिकारियों द्वारा बताया जा रहा है कि यह सब जनता की सुरक्षा द्वारा के लिए किया जा रहा है। लेकिन प्रशासन की मंशा साफ है वह पुलिसया मार्च करा कर आमजन को भयग्रस्त करना चाहते है।
खैर यह घटना चाहे प्रदेश की बसपा सरकार के इशारे पर हुई हो या किसी साम्प्रदायिक व्यक्ति के इशारे पर अगर शहर में कोई साम्प्रदायिक दंगा फैलता है तो नुकसान यहां के निर्दोष नागरिकों का ही होगा। साम्प्रदायिक ताकतें तो हमेशा की भांति फसल काटने की तैयारी करेगी। इतना तो तय है कि ये प्रतिक्रियावादी ताकतें भले ही ऐसी कार्यवाही प्रायोजित कर अपनी क्षुद्र राजनीतिक रोटी सेकने का प्रयास करें लेकिन बुद्ध, कबीर, प्रेमचन्द्र, फिराक, बिस्मिल की जमीन के अमन पसन्द नागरिक शहर का माहौल बिगडने नहीं देगें।
(लेखक, समाजिक कार्यकर्ता है।)
सम्पर्क सूत्र- 09919294782

8 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

1) "…अगर मस्जिद के बजाय किसी हिन्दू मंदिर पर इस प्रकार की विध्वंसक कार्यवाही हुई हाती तो, सडक से लेकर संसद तक बवाल मचगया गया होता…" (असहमत, इसके खिलाफ़ कई उदाहरण दिये जा सकते हैं)।
2) "…मुस्लिमों के बीच भय का माहौल सिर्फ गोरखपुर मे ही नहीं बल्कि पूरे देश में व्याप्त है हर जगह अल्पसंख्यक समुदाय के ऊपर अक्सर हमले होतें रहे है…" (कमाल है, मैं तो उड़ीसा, उत्तर-पूर्व, बंगाल और केरल के हिन्दुओं को बहुसंख्यक समझता था)
3) "…खैर यह घटना चाहे प्रदेश की बसपा सरकार के इशारे पर हुई हो या किसी साम्प्रदायिक व्यक्ति के इशारे पर…" (गनीमत है कि इस बार भाजपा-संघ का नाम नहीं लिया, इसलिये धन्यवाद)

भारतीय नागरिक - Indian Citizen ने कहा…

kam se kam aap to bole! baamiyan ke liye bhi dekho paande ji. saikdon mandiron ki bhi taameer karao, kabhi varanasi aur mathura bhi jao! kabhi ghar se beghar lakhon kashmerion ke liye bhi awaj uthao. kabhi asam me mare jane wale logon ke liye bhi bolo! yah kahna prarambh karo ki sare mandir masjid gurudware jo sadkon par sarkari jagahon par bane ho tod diye jayen! kabhi ye bhi to likho ki modi ne un mandiron ko bhi tudwaya jo sadkon par bane the abhi pichhle saal ki hi baat hai! lekin shayad aap aisa nahi bol payenge. aap achchhe dharm-nirpekshi neta ban sakte hain. main bhi iski ninda karta hoon, lekin oopar wale sabhi mudde aap kyon nahi uthate????

अनुनाद सिंह ने कहा…

प्रशासन का यह कार्य स्वागत योग्य है। कम्युनिस्ट सदा से भारतद्रोही रहे हैं। उनकों भोंकने का अधिकार है।

संजय बेंगाणी ने कहा…

आप वामपंथी लगते है. चे की तस्वीर देख कर अनुमान लगा रहा हूँ. आपके लिए तो धर्म हराम होना चाहिए, फिर इतनी तिलमिलाहट क्यों? क्या एक मन्दीर गीराया जाता तब भी ऐसी ही तिलमिलाहट होती? अगर नहीं तो यह भेदभाव क्यों?

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

कुछ लोगों का काम ही वैमनस्य फैलाना है।

Pawan Meraj ने कहा…

अनुनाद सिंह जी ये बताइए कि अंग्रेजों के पिट्ठू कमीने संघियों को कब से भारत प्रेम हो गया. संसृति के वाहक बन्ने वाले ----बात-चीत की तमीज तो आप लोगों के पास कभी थी ही नहीं. अरे गाँधी के हत्यारों! सन्यासियों के भेस में आतंकवादियों! गुजरात दंगे में माँओं के पीट चीरने वालों किस मंदिर और भगवान् की बात करते हो तुम..... बेच के तो खा गए सब. दिल न भरा हो तो चिट्ठे खोलूं गोरखनाथ पीठ के सारे महात्माओं की किसने ......

Ek ziddi dhun ने कहा…

जिनके लिए वली दकनी जैसे शायर की मजार को मिस्मार करना उत्सव की तरह हो, उनसे ऐसे ही कमेंट्स की अपेक्षा की जा सकती है. गोरखपुर में योगी सरगना बेलगाम हो चूका है.

ambrish kr monty ने कहा…

are , bhai pandey kyon chutiyapa karte ho ? kaise communist ho yar ? wo dharm ko afim kahte hain fir maszid se hamdardi kyon hai . ?

nakli communist ho tum sab ke sab /