साथियो
आगामी ८ तारीख को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के सौ वर्ष पूरे हो रहे है। इन वर्षो में महिलाओ की सामाजिक , आर्थिक और राजनैतिक स्थिति में व्यापक परिवर्तन आया है। काम के घंटो को १६ से १२ करने की मांग को लेकर शुरू हुआ यह आन्दोलन तमाम पडावो को पार कर आज उस जगह पर पहुँच गया है कि सँवैधानिक स्तर पर अनेक क्रान्तिकारी परिवर्तन दिखायी देते हैं , परन्तु सामाजिक स्तर पर भेदभाव अब भी ज़ारी हैं। साथ ही महिला मुक्ति का प्रश्न आज भी बेहद उलझा हुआ है। विशुद्ध रूप से इसे आर्थिक मुक्ति से लेकर देह को इसका उत्स मानने वाले अनेक लोग अपने अपने तर्कों के साथ परिदृश्य पर मौज़ूद हैं। साथ ही एनजीओ के सतत विस्तार ने भी इसे अपने तरीक़े से प्रभावित किया है।
इन सबके बीच आज कहाँ है दुनिया मे औरत? बाज़ार के सर्वग्रासी विस्तार के बीच उसकी मुक्ति का सवाल अब किस रूप मे उपस्थित है? और इसकी राह किधर है?
इन्ही सब सवालों के इर्दगिर्द युवा सम्वाद ने स्त्री अधिकार संगठन के साथ मिलकर आगामी ७ मार्च को एक खुली बहस का आयोजन किया है। शाम चार बजे से सिटी सेन्टर स्थित स्वास्थय प्रबंधन सन्स्थान मे आयोजित इस कार्यक्रम मे स्त्री अधिकार सन्गठन, दिल्ली से जुडी जानी मानी लेखिका अन्जलि सिन्हा की प्रमुख भागीदारी होगी और अन्नपूर्णा भदोरिया करेंगी ।
आईये मिलकर सोचें -
9 टिप्पणियां:
बेहतर शुरुआत। शुभकामनाएं।
शभकामनायें!
yuvaa sanvaad ke sathiyo ko shubhkamanaa ...
chegwara ki jagah kisi mahan bhartiya aatma ka photo laga lena... achha lagega...
hamare desh mein bhi mahan log paida huye hai...
plz apne logo par bhi garv karna seekho....
is comment ko post jarur karna...
भाई
अगर देखते तो देख पाते कि हमारे आदर्श के रूप मे भगत सिन्ह का फोटो लगा है।
चे ग्वेरा की जगह क्यूँ ? उसके साथ क्यूँ नहीं ?
हमारे का इतना सँकुचित प्रयोग क्यूँ ? चे तो वह आदमी था जो दूसरे देश की मुक्ति के लिये अपने प्राण की बाज़ी लगा गया और इसीलिये वह हर उस इन्सान का नायक है जो मुक्ति और बराबरी चाहता है।
एनानिमस बन्धु, अपना वह है जो अपनी बात करता है…देश की छुद्र सीमाओं में मत बाँधिये इसे।
नही तो किसी गाँधी के नाम से विदेश में सडक नही बनेगी!!!!
हाँ , जब तक भाषा अभद्र ना हो कुछ भी पोस्ट करने में हमें गुरेज नहीं ।
परिचय देते तो बेहतर होता…पर जो नक़ाब पहन कर आना चाहते हैं उनका भी स्वागत
anonymous logon ko kya ho jata hai.
virodh karana hai to naam ke saath karo na bhai.
is tarah ki aapatti inaki sankiran soch ki parichayak hai.
aap in logon ka swagat kar rahe ho yah badi baat hai.par phir bhi inako samajh me nahin aayegi.
यार क्या करोगे
नहीं लगाता तो कहते डर गये
जवाब देना ज़रूरी था।
ये वही लोग है जो किसी गोरे के मुह से हिन्दी सुनके अघा जाते हैं , लडके को पहला मौका मिलते ही अमेरिका भेजते हैं , बिटिया के लिये एन आर आई दामाद ढूंढते हैं पर चेग्वेरा को देख कर आह आह करते हैं ।
करने दो…
Gwalior kea sathioon koo subhkamnayian
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