कल से अब तक एक ही एस एम् एस मेरे पास कई रास्तों से आया है।
इसका अभिधार्थ यह है कि १९३१ में १४ फरवरी को शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी पर चढ़ाया गया था और हम लोग उसे भूल के वेलेन्टाईन डे मना रहे हैं।
सबसे पहले कल सुबह यह एस एम एस एक वरिष्ठ कवि मित्र के नं से आया। मैंने काल बैक करके जब कहा कि गुरु इन क्रांतिकारियों की फ़ांसी २३ मार्च को हुई है तो वे बोले कि मुझे भी वही याद था बस तुमसे कन्फ़र्म किया। फिर एक दोस्त के फोन से आया यही संदेश और अब अंतिम जो संदेश आया है वह हमारी कर्मचारी एसोशियेशन के एक वरिष्ठ नेता के मोबाईल से!
क्या सच में इतना आसान है अफ़वाह फैलाना?
कहीं यह वैलेन्टाईन विरोधियों को नैतिक आधार उपलब्ध कराने के लिये सोची-समझी साजिश तो नहीं?
11 टिप्पणियां:
ये वही हैं जो अफवाह फैलाने में सिद्धहस्त हैं और जिन्हें सब लोग जानते हैं।
ऐसे नही सोंचा...पर आश्चर्य, यह सच लगता है.
जी बिल्कुल दुरूस्त फ़रमाया आपने मेरे मोबाईल पर भी एक ऐसा ही संदेश आया था मगर मुझे बहुत अच्छी तरह पता था कि शहीद दिवस २३ मार्च है सो ध्यान ही नहीं दिया मैंने
हद है.
इनको भाव देना ही गलती है हमारी
यह अफ़वाह है, गलती है या साजिश...
इतना तो पता नहीं मगर यह सच है कि बिना सोचे-समझे ऐसा सन्देश फोरवर्ड करने वाले आपके वरिष्ठ कवी मित्र ज़रूर नाकाबिले-भरोसा हैं. वैसे आजकल भगत सिंह पर अफवाहों का बाज़ार गर्म है. पिछले दिनों एक वरिष्ठ ब्लोगर ने तो उन्हें कम्युनिस्ट ही कह दिया था.
अफवाहों पर ध्यान न दें!
हमारे पास ऐसे संदेश नहीं आए। प्रोफेशनल अफवाहबाजों का काम होगा।
स्मार्ट जी
भगत सिंह कोई प्रागैतिहासिक चीज़ नहीं हैं।
उनका लिखा एक-एक हर्फ़ उपलब्ध है…पढ़कर फ़ैसला कर लीजिये। उनके अदालती बयान , फांसी की तारीख सब सावरकर की माफ़ी की ही तरह अब तक रिकार्ड में हैं।
अफ़वाह फैलाने की साजिश पांचजन्य ने की थी पर फ़ुस्स हुए…
thik hai. unka muh kala.nice
ऐसा सन्देश हमारे आस-पास भी कई सहकर्मियों को मिला. किसी को 13 को किसी को 14 फ़रवरी को. मुझे लगता है की यह शायद कुछ छद्म राष्ट्रवादियों द्वारा वैलेंटाइन डे पर लोगों का ध्यान भटकाने के लिए या यूँ कहे की युवा पीढ़ी को भटकने से बचने के लिए फैलाया गया है.
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