जब लोग मरते हैं तो उनके बारे में, उनके गुणों के वर्णन करने वाले भाषण देना आम बात है। लेकिन शायद ही कभी ऐसे मौकों पर किसी के बारे में ज्यादा ईमानदारी और सच्चाई से वह सबकुछ कहा जा सकता है जो हम चे के बारे में कहते हैं - 'वह क्रांतिकारी गुणों के विशुद्ध उदाहरण थे'। लेकिन उनमें एक और गुण था, बौद्धिकता या इच्छाशक्ति का गुण नहीं न ही अनुभवों से अर्जित कोई गुण अपितु उनके दिल के भीतर मौज़ूद एक गुण - वह अगाध मानवीय व्यक्ति थे, असाधारण रूप से संवेदनशील।
यही वज़ह है कि उनके जीवन के बारे में सोचते हुए हम महसूस करते हैं कि वह इस रूप में अकेले और असाधारण थे कि उनमें एक साथ एक कर्मशील व्यक्ति की, एक विचारवान निष्कलंक क्रान्तिकारी की और असाधारण मानवीय संवेदना से पूर्ण व्यक्ति की लाक्षणिकतायें समाहित थीं। साथ ही वह लौह चरित्र, दृढ इच्छाशक्ति और अदम्य संकल्पशीलता वाले भी थे।
( चे की स्मृति में दिये कास्त्रो के भाषण का एक अंश, चे की किताब ' क्यूबा के क्रांतियुद्ध की संस्मृतियां' से, अनुवाद शीघ्र प्रकाश्य)
7 टिप्पणियां:
सम्वेदनशील ही सबसे ज़्यादा ताकतवर होता है ..मतलब अनुवाद का काम बढ़िया चल रहा है
आप ने सही कहा।
bahut hi sundar
Che par wakaii aur jyada samgree dee jaanee chahiye..
कास्त्रों की लेखनी भी गजब है...
कास्त्रों का अभी तक कुछ भी पढने को नहीं मिला है..
आपके अनुवाद का इंतज़ार है...
bahut badhiya.
sahi kaha hai.
चे के त्याग, उनके करिश्माई व्यक्तित्व, और मानवीय संवेदना के आगे कोन है जो नत मस्तक न होगा ? पर इतने सब के बाद भी उनका क्रांती लाने का तरीका, गुरिल्ला अवधारणा, विश्व राजनीती के बडे धरातल पर असफल रही। सशत्रक्रान्ती की धारणा, एशिया और लातिन अमेरिका के कई देशों मे पिछली सदी का एक महत्वपूर्ण अंग रहा है। तमाम सद-इच्छाओं और चे जैसे क्रान्तिकारी के बावजूद अगर किसी भी देश के लोगो का बड़ा भाग बदलाव के लिए तैयार नही है, और क्रान्ती की जड़े जमीन के बजाय आदर्शवाद मे है तो उसका विफल होना तय है.
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