क्या लिखूं और लिख लिख कर होगा क्या?मुंबई नहीं हुई गरीब की भैंस हो गयी .. जो चाहे जब चाहे दुह ले जाए.. अभी माले गावं चल ही रहा था की ये सब हो गया... चुनाव के ठीक एक दिन पहले... पता नहीं क्या सच है क्या ... झूठ इतना तो तय है की आप तब तक ही जिंदा हैं जब तक कोई आपको मारना नहीं चाहता...बाकि डेमोक्रेसी वगैरह अब दिल के खुश रखने का ख्याल बस रह गया है.तो ... जिंदा है तो ज़िन्दगी की जीत पर यकीन कर..कम से कम तब तक , जब तक तेरे शहर में कोई धमाका नहीं हो जाता!!!!
5 टिप्पणियां:
उन्होंने जंग में भारत को हरा दिया है.
अपने ड्राइंग रूम में बैठ कर भले ही कुछ लोग इस बात पर मुझसे इत्तेफाक न रखे मुझसे बहस भी करें लेकिन ये सच है उन्होंने हमें हरा दिया, ले लिया बदला अपनी....
जिंदा है तो ज़िन्दगी की जीत पर यकीन कर..कम से कम तब तक , जब तक तेरे शहर में कोई धमाका नहीं हो जाता!!!!
... प्रसंशनीय अभिव्यक्ति है।
क्या लिखूं और लिख लिख कर होगा क्या?मुंबई नहीं हुई गरीब की भैंस हो गयी .. जो चाहे जब चाहे दुह ले जाए.. अभी माले गावं चल ही रहा था की ये सब हो गया... चुनाव के ठीक एक दिन पहले... पता नहीं क्या सच है क्या ...Kabhi socha hai yah sab chunav se pahle hi kyon hota hai ?
बिलकुल ... सोचने वाली बात तो यही है की इन धमाकों का फायदा किसे मिलता है?
यह सबकुछ इतना स्पष्ट नहीं जितना लगता है!
बिलकुल ... सोचने वाली बात!!!!!!!1
एक टिप्पणी भेजें