24 नवंबर 2008

वोट नही देना भी क्या एक वोट नही है ?

साथियों
देश के कई राज्यों में चुनाव की गहमागहमी है। ऐसे में किसे वोट देन का नारा लेकर नेता उपस्थित हैं तो 'वोट ज़रूर दे' का नारा लेकर एनजीओ के समाजसुधारक बंधू जनता को शिक्षाएं दी जा रही हैं। चाय पिलाकर जगाया जा रहा है और वोट न देने वालों को धिक्कारा जा रहा है।
लेकिन आख़िर जनता अगर वोट नही देती है तो क्या इसका एक दूसरा पक्ष नही है? क्या लोग सिर्फ़ इसीलिए वोट दे की सांपनाथ की जगह नागनाथ सत्ता में आ जायें और उनका खून चूसें?
क्या वोट न देने का मतलब सरकारों और व्यवस्था से मोहभंग नही है? क्या वोट न देना भी एक वोट नही है?

3 टिप्‍पणियां:

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

सही बात है वोट तो जरूर देनी चाहिए ।भले ही बड़े लुटेरे की जगह छोटे लुटेरे को दो।

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…

वोट नहीं देने को नकारात्मक वोट नहीं कहा जा सकता है। नकारात्मक वोट का भी सक्रिय होना जरूरी है। इस के लिए पहले तो नकारात्मक वोट का अधिकार होना चाहिए, फिर उस का डाला जाना जरूरी है। यदि नकारात्मक वोट किसी क्षेत्र से अधिक मिलें तो उस क्षेत्र में चुनाव प्रक्रिया पुनः प्रारंभ की जानी चाहिए।

Poonam Misra ने कहा…

वोट दे देने से इस प्रकार के प्रजातंत्र और राजनीतिक पार्टियों से असंतोष नहीं व्यक्त हो पाएगा .साधारण जनता यदि किसी भी पार्टी या उम्मीदवार को इस लायक नहीं समझती कि वह उसका प्रधिनिधित्त्व करे तो उसके पास वोट न देने का ही रास्ता है. ज़रूरत है कि वोट की पर्ची पर "इनमें से कोई नहीं" का भी एक विकल्प हो .