tag:blogger.com,1999:blog-4286453931356744099.post6697998436398520471..comments2023-08-27T07:13:28.314-07:00Comments on दख़ल विचार मंच : अब हर कवि का बेटा अमिताभ बच्चन तो नहीं हो सकता?Ashok Kumar pandeyhttp://www.blogger.com/profile/12221654927695297650noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-4286453931356744099.post-216261326205125662010-01-18T19:05:47.410-08:002010-01-18T19:05:47.410-08:00niceniceRandhir Singh Sumanhttps://www.blogger.com/profile/18317857556673064706noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4286453931356744099.post-50627083364996200002010-01-18T13:29:16.892-08:002010-01-18T13:29:16.892-08:00हम तो फिर भी उन्हें याद कर लेंगे यदि नहीं तो आप जै...हम तो फिर भी उन्हें याद कर लेंगे यदि नहीं तो आप जैसे जागरूक याद दिलाते रहेंगे ... लेकिन आगे आने वाली पीढ़ी याद रखेगी? ..यह हमारे लिए सबसे बड़ी चुनोती है ..neerahttps://www.blogger.com/profile/16498659430893935458noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4286453931356744099.post-18533431994859716332010-01-17T18:26:34.602-08:002010-01-17T18:26:34.602-08:00डॉ. रांगेय राघव जिन का आज 87 वाँ जन्मदिन है।
http...डॉ. रांगेय राघव जिन का आज 87 वाँ जन्मदिन है। <br />http://anvarat.blogspot.com/2010/01/1-976-77.html?utm_source=feedburner&utm_medium=feed&utm_campaign=Feed%3A+anvarat+%28ANVARAT%29pallavhttps://www.blogger.com/profile/03475995120391314299noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4286453931356744099.post-20933844856009360582010-01-15T21:59:31.972-08:002010-01-15T21:59:31.972-08:00जीवन को सरसित रखता है, कृतज्ञता का भाव.
उनका कार्य...जीवन को सरसित रखता है, कृतज्ञता का भाव.<br />उनका कार्य बढे आगे, यह हर पूर्वज की चाह.<br />हर पूर्वज की चाह, भाव-भाषा में देखो.<br />श्रृद्धाँजलि यही है, उनसे बेहतर लिक्खो.<br />यह साधक इस तरह पूजता महापुरु्षों को.<br />कृतज्ञ होकर सरसित रखता निज जीवन को.Sadhak Ummedsingh Baid "Saadhak "https://www.blogger.com/profile/07864795175623338258noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4286453931356744099.post-29877501517968177762010-01-15T16:52:09.278-08:002010-01-15T16:52:09.278-08:00बड़े लेखकों को आयोजन के बहाने याद करना ढोंग है.नकली...बड़े लेखकों को आयोजन के बहाने याद करना ढोंग है.नकली साहित्य्कारों का अपनी चाँदी काटने और चहरे चमकाने के चोंचले हैं. हम उन के लिखे हुए को अपनी स्मृतियों में, व्यवहार में, और अंततः लेखन में ज़रा सा भी बचा पाएं , यह सच्मुच की श्रद्धाँजलि होगी उन के लिए. <br />और अशोक भाई, हम सब ये कागज़ क्यों काले कर रहे हैं? क्यों कि हम उस् पूरी विरासत को कहीं गहरे में जी रहे हैं.अजेयhttps://www.blogger.com/profile/05605564859464043541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4286453931356744099.post-58323855449278476022010-01-15T09:01:06.553-08:002010-01-15T09:01:06.553-08:00यह ज़िन्दा रहेंगे और याद भी किये जायेंगे यदि इन्हे...यह ज़िन्दा रहेंगे और याद भी किये जायेंगे यदि इन्हे भुलाने का कोई ष्ड़यंत्र न किया जाये । इस वर्ष भगवतशरण उपाध्याय की भी जन्म शती है .. यह बात कितनों को पता है ?शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4286453931356744099.post-49434007301713651392010-01-15T00:51:17.034-08:002010-01-15T00:51:17.034-08:00बोधिसत्व भाई मेल पर
भाई मेरे
आप सब हैं तो उन बहु...बोधिसत्व भाई मेल पर <br /><br />भाई मेरे<br />आप सब हैं तो उन बहुत सारे लेखकों की यादें जिंदा रहेंगी। वैसे कोई भी साहित्यकार अपने लिखे से ही बचेगा। चाहे अश्क जी हों या राहुल या रहबर मन्मथनाथ गुप्त यह सब अपने लिखे से ही जिंदा रहेंगे।<br />nahin chap raha haiAshok Kumar pandeyhttps://www.blogger.com/profile/12221654927695297650noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4286453931356744099.post-45045172527752166242010-01-14T22:23:33.284-08:002010-01-14T22:23:33.284-08:00"राहुल फाउण्डेशन बना और एक क्रांतिकारी संगठन ..."राहुल फाउण्डेशन बना और एक क्रांतिकारी संगठन की शातिर प्रकाशन गृह तक की यात्रा पूरी हुई!"<br />- समूची पोस्ट के साथ साथ ये टुकड़ा ....ख़ासा दिलचस्प है...मैं भी अब सोच रहा हूँ. ख़ुशी है कि तुम बोलते हो..इस तरह बोलते हो...हर ज़रूरी जगह बोलते हैं...कितने लोग हैं जो बोलते हैं...इस तरह बोलते हैं...हर ज़रूरी जगह बोलते हैं. मुझे लिखो यहाँ वहाँ पर पुरस्कारों पर तुम्हारा लिखा भी बहुत याद आ रहा है. <br />शुक्रिया प्यारे दोस्त.शिरीष कुमार मौर्यhttps://www.blogger.com/profile/05256525732884716039noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4286453931356744099.post-7290977691425543172010-01-14T22:01:24.178-08:002010-01-14T22:01:24.178-08:00धीरे-धीरे कर इन्हें भूलाया जा रहा है ताकि आगे आने ...धीरे-धीरे कर इन्हें भूलाया जा रहा है ताकि आगे आने वाली पीढ़ी भी इन्हें न याद कर-रख सके। चीजों बातों और विचारों को किताबी-विमर्शों में उलझाकर रख दिया गया है। राहुल, सज्जाद या शमशेर को हम अपनी सुविधाओं के हिसाब से याद करते हैं। फिर यह भी तो देखें कि अब तक कितनों ने मन्मथनाथ गुप्त और हंसराज रहबर को यद किया है या उन पर विशेषांक निकाले हैं।Anshu Mali Rastogihttps://www.blogger.com/profile/01648704780724449862noreply@blogger.com