tag:blogger.com,1999:blog-4286453931356744099.post1717160634869562724..comments2023-08-27T07:13:28.314-07:00Comments on दख़ल विचार मंच : विष्णु जी इस सच का सच क्या है?Ashok Kumar pandeyhttp://www.blogger.com/profile/12221654927695297650noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-4286453931356744099.post-44525935193180017042009-09-19T10:39:33.753-07:002009-09-19T10:39:33.753-07:00प्रासंगिक लेख.प्रासंगिक लेख.प्रदीप कांतhttps://www.blogger.com/profile/09173096601282107637noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4286453931356744099.post-42159918709634652122009-09-15T14:15:22.784-07:002009-09-15T14:15:22.784-07:00true and informative..true and informative..neerahttps://www.blogger.com/profile/16498659430893935458noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4286453931356744099.post-90353029025013007912009-09-13T11:30:40.503-07:002009-09-13T11:30:40.503-07:00विष्णु खरे ईमानदार नहीं हैं। वे न कविता के प्रति ई...विष्णु खरे ईमानदार नहीं हैं। वे न कविता के प्रति ईमानदारी बरत पाएँ हैं और न कवियों के प्रति। भारत भूषण पुरस्कार के अन्य चयनकर्ताओं पर यह ढेला उन्होंने क्यों फेंका है, जल्दी ही बात साफ़ हो जाएगी। वैसे अगर पुरस्कारों से ही किसी कवि को अच्छा कवि माना जाता तो केदार जी आज हिन्दी के सर्वश्रेष्ठ कवि होते और विष्णु खरे निकृष्टतम। लेकिन ऐसा नहीं है। विष्णु खरे एक अच्छे कवि हैं, लेकिन बड़े ख़राब आलोचक हैं। कम से कम उनका यह लेख तो यही बताता है। नामवर जी और राजेन्द्र जी की तरह विष्णु जी भी साहित्य की घटिया राजनीति कर रहे हैं।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4286453931356744099.post-40609123273831998872009-09-13T11:24:38.146-07:002009-09-13T11:24:38.146-07:00आपने सच को एकदम साफ़ ढंग से पेश किया है। पुरस्कार द...आपने सच को एकदम साफ़ ढंग से पेश किया है। पुरस्कार देने वालों पर हमेशा तरह-तरह के दवाब रहते हैं। और कभी-कभी वे पुरस्कार देने के अपने अधिकार को भुनाते भी हैं। विष्णु खरे और पुरस्कार देने का अधिकार रखने वाले बाक़ी सब लोग आख़िर हैं तो एक ही थैली के चट्टे-बट्टे। वैसे भी अन्धा बाँटे रेवड़ी अपनों-अपनों को दे। पुरस्कारों से ही कवि अच्छे होने लगते तो हिन्दी के सर्वश्रेष्ठ कवि केदार आज केदार जी होते और निकृष्ट कवि विष्णु खरे। खरे ईमानदार नहीं हैं और वे हमेशा साहित्य की राजनीति वैसे ही करते रहते हैं, जैसे हिन्दी के दो अन्य दिग्गज, नामवर जी और राजेन्द्र जी। यह तीर भी उन्होंने बाकी चयन्कर्ताओं पर कुछ सोच-समझकर ही छोड़ा है। खरे अच्छे कवि हैं, लेकिन ख़राब आलोचक।यह उनके इस लेख से साफ़ समझ में आता है।<br />अनिल जनविजयAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4286453931356744099.post-82480119769440532352009-09-13T06:21:56.689-07:002009-09-13T06:21:56.689-07:00मैं उस समारोह में मौजूद था। इस किताब की लोकार्पण ह...मैं उस समारोह में मौजूद था। इस किताब की लोकार्पण होने के बाद किताब की भूमिका के रूप में लिखा यह लेख लेखक के अनुसार कतिपय संपादनों के साथ फोटोकापी फार्म में सभा विसर्जन के बाद बाँटा जा रहा था। विष्णु खरे एक दल के ढीह हैं। पहले पहल तो यह लेख साहसिक लगता है लेकिन चमचों को छोड़ हर किसी को थोडी देर बाद ही यह समझ आने लगेगा कि यह कूटनीतिक हमले के लिए किया गया शुरूआती प्रयास भर है।Rangnath Singhhttps://www.blogger.com/profile/01610478806395347189noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4286453931356744099.post-25773391262876912342009-09-13T06:13:22.239-07:002009-09-13T06:13:22.239-07:00niceniceRandhir Singh Sumanhttps://www.blogger.com/profile/18317857556673064706noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4286453931356744099.post-81183238022435496362009-09-12T19:47:17.753-07:002009-09-12T19:47:17.753-07:00किसी भी लेखन का मूल्यांकन पाठक करते हैं। पुरुस्कार...किसी भी लेखन का मूल्यांकन पाठक करते हैं। पुरुस्कार किसी रचनाकार का समग्र मूल्यांकन नहीं होते। <br />और राजनीति से कुछ भी अछूता नहीं है।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4286453931356744099.post-61905182317376451162009-09-12T15:35:08.586-07:002009-09-12T15:35:08.586-07:00आपकी लेखनी को मेरा नमन स्वीकार करें.आपकी लेखनी को मेरा नमन स्वीकार करें.संजय तिवारीhttps://www.blogger.com/profile/12255878761091728878noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4286453931356744099.post-71113026604773078492009-09-12T14:52:38.152-07:002009-09-12T14:52:38.152-07:00इस सच का सच अत्यन्त प्रासंगिक है ।आभार ।इस सच का सच अत्यन्त प्रासंगिक है ।आभार ।हेमन्त कुमारhttps://www.blogger.com/profile/01073521507300690135noreply@blogger.com